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इन शब्दों का किया प्रयोग तो जाना होगा जेल, चुनाव आयोग ने जारी किया निर्देश



नई दिल्ली।। अब गूंगा, मंदबुद्धि, पागल, सिरफिरा, अंधा, काना, बहरा, लंगड़ा, लूला, अपाहिज आदि जैसे शब्दों का प्रयोग करने से बचना जरूरी है। इस तरह के शब्दार्थ का इस्तेमाल दिव्यांगजनों के अपमान के रूप में समझा जा सकता है। ऐसे शब्दों का प्रयोग करने वाले राजनीतिक दलों, नेताओं क़ो गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे और 5 साल जेल की सजा भी काटनी पड़ेगी। यह निर्देश चुनाव आयोग ने जारी किया है। दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के अनुसार, दिव्यांगता को संदर्भित करने के लिए उपयुक्त शब्दों में अंधापन, कम दृष्टि, बहरापन, लोकोमोटर दिव्यांगता, बौद्धिक दिव्यांगता आदि का प्रयोग किया जा सकता हैं।

बता दे कि आयोग ने सख्त रूख अख्तियार करते हुए सभी दलों को उनके लिए "अपमानजनक शब्दों" का इस्तेमाल नहीं करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही राजनीतिक दलों को अपनी वेबसाइट, सोशल मीडिया, भाषण आदि को दिव्यांगों की पहुंच के लिए ज्यादा सुलभ और सुगम बनाने को भी कहा है। चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अगर इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया जाता है तो दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 92 के तहत 5 साल तक की कैद हो सकती है।




ईसीआई ने अपमानजनक भाषा के सामान्य उदाहरण देते हुए कहा कि गूंगा, मंदबुद्धि, पागल, सिरफिरा, अंधा, काना, बहरा, लंगड़ा, लूला, अपाहिज आदि जैसे शब्दों का प्रयोग करने से बचना जरूरी है. इस तरह के शब्दार्थ का इस्तेमाल दिव्यांगजनों के अपमान के रूप में समझा जा सकता है। चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक दलों को यह भी दिशा निर्देश दिया गया है कि वो सार्वजनिक भाषण, कैंपेन और अन्य दूसरी गतिविधियों को दिव्यांगजनों के लिए सुलभ बनाएं।इसी तरह उनकी वेबसाइट और सोशल मीडिया तक पहुंच भी सुलभ होनी चाहिए।

इन शब्दों का कर सकते है इस्तेमाल 

चुनाव आयोग ने कहा है कि पार्टियों को अपने कार्यकर्ताओं को दिव्यांगता पर एक ट्रेनिंग मॉड्यूल प्रदान करना चाहिए। साथ ही दिव्यांगों की पार्टी कार्यकर्ताओं और सदस्यों के रूप में अधिक भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के अनुसार, दिव्यांगता को संदर्भित करने के लिए उपयुक्त शब्दों में अंधापन, कम दृष्टि, बहरापन, लोकोमोटर दिव्यांगता, बौद्धिक दिव्यांगता आदि शामिल हैं।


 दिव्यांगजनों का सम्मान बढ़ाने के लिये उठाया यह कदम 


ईसीआई की ओर से इस तरह के कदम को दिव्यांग व्यक्तियों के प्रति 'समावेशिता और सम्मान को बढ़ावा देने' के लिहाज से उठाया गया है। राजनीतिक दलों और उनके प्रतिनिधियों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे दिव्यांगता या दिव्यांग व्यक्तियों से संबंधित शब्दों का उपयोग मानवीय अक्षमता के संदर्भ में या ऐसे तरीके से न करें जो 'अपमानजनक या रूढ़िवादिता को कायम रखने वाला' हो।


'दिव्यांगों के प्रति मानवीय समानता, गरिमा और स्वायत्तता का सम्मान करें'


चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि राजनीतिक पार्टियां दिव्यांगों का जिक्र करते समय केवल अधिकार-आधारित शब्दावली का उपयोग कर सकती हैं। जैसा कि दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन में उल्लेख किया गया है।


चुनाव आयोग ने कहा है कि सभी कैंपेन सामग्रियों को आंतरिक समीक्षा से गुजरना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनमें कोई सक्षमवादी या भेदभावपूर्ण भाषा का इस्तेमाल नहीं किया है।सभी दल इन गाइडलाइन का अनुपालन करते हुए दिव्यांगों के प्रति मानवीय समानता, हिस्सेदारी, गरिमा और स्वायत्तता का सम्मान करेंगे।