Breaking News

पंचायतीराज सुदृढ़ीकरण पर आयोजित हुई कार्यशाला : बलिया की बेटी ने जयपुर में मनवाया अपने अनुभव का लोहा, भारत के अलावा जर्मनी के प्रतिनिधि भी थे शामिल

 


जयपुर राजस्थान।।भारत सरकार और राजस्थान सरकार के संयुक्त तत्वावधान में पंचायतीराज क़ो सुदृढ़ करने के लिये स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ हैल्थ एण्ड फैमिली वैलफेयर जयपुर में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जी एस होरा ,श्रीमती गीतिका पाण्डे IRS, राजेंद्र भाणावत (IAS), ने भाग लेकर अपने अनुभव साझा किए ।मानद सलाहकार डॉक्टर प्रमिला  ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से पंचायती राज सशक्तिकरण कार्यक्रम से अवगत कराया। बलिया जनपद के रतसर कला की पूर्व प्रधान स्मृति सिंह ने अपने अनुभव व पंचायती राज सशक्तिकरण को सुदृढ करने पर अपनी राय प्रस्तुत की। कार्यशाला में जयपुर जिले सहित देश- विदेश और पूरे राजस्थान से लोगों की सहभागिता रही। इस कार्यशाला में उपस्थित सभी प्रतिनिधि और जर्मनी से ऑनलाइन जुड़े प्रतिनिधियों ने सुश्री स्मृति सिंह के सुझावों क़ो ताली बजाकर समर्थन दिया।

उत्तरप्रदेश के बलिया से निवर्तमान सरपंच सुश्री स्मृति सिंह,को भारत सरकार ने राजस्थान के सरपंचों को पारंगत करने उनके क्षमता वर्धन के लिए सरकारी मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया था, जहां न्यायमूर्ति द्वारा इनको सम्मानित भी किया गया।स्मृति सिंह पूरे भारत से अकेली चयनित हुई थी।कार्यशाला में एक्सपर्ट दीप्ती सिंह की भी सहभागिता रही।

सुश्री स्मृति सिंह ने कार्यशाला में सबसे पहले अपने कार्यकाल में ग्राम पंचायतों में किये गये विकास कार्यों क़ो उल्लेखित करते हुए बताया कि कैसे सीमित बजट में प्राथमिकताओं क़ो निर्धारित करके अपनी ग्राम पंचायत में विकास कराया जा सकता है। साथ ही सुश्री स्मृति सिंह ने कार्यशाला के मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति से अनुरोध किया कि माननीय न्यायालयों द्वारा दिये जाने वाले फैसलों क़ो हिंदी में दिया जाय, जिससे अधिक से अधिक ग्रामीण अंचलो की जनता उसको समझ व जान सकें। सुश्री स्मृति सिंह ने यह भी मांग की अदालतो में होने वाली बहस व जिरह क़ो भी हिंदी में लिखा जाय।

सुश्री स्मृति सिंह ने यह भी कहा कि भारत की अधिकांश जनता ग्रामीण अंचलों में रहती है, जो अंग्रेजी नहीं समझती है। ऐसे में चिकित्सकों से अनुरोध करती हूं कि बे पर्चीयों पर ज़ब दवाएं लिखते है तो उसको हिंदी या स्थानीय भाषा में लिखें जिससे मरीज या परिजनों क़ो दवा का नाम व कैसे लेनी है, पता चल सकें।





मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति जी एस होरा ने कहा कि सुश्री स्मृति सिंह के द्वारा ग्राम पंचायतों के सशक्तिकरण के लिये दिये गये सुझाव क़ो सराहना करते हुए कहा कि यहां सुश्री स्मृति सिंह के अनुभव और ग्राम पंचायत में किये गये विकास के कार्यों और विकास के प्रति सोच क़ो सुनने के बाद मेरी धारणा महिला ग्राम पंचायतों के जन प्रतिनिधियों के प्रति काफी बदल गयी है। इनके विचारों क़ो सुनने के बाद यह सोच व कथन बदल गया कि ग्राम पंचायतों की महिला प्रधान रबर स्टैम्प होती है। कहा कि मै सुश्री स्मृति सिंह के अनुरोध क़ो उचित मानते हुए बताना चाहता हूं कि न्याय पालिका भी ग्रामीण अंचलो के लोगों क़ो त्वरित न्याय दिलाने के लिये ग्राम न्यायालयों की स्थापना के प्रति कदम बढ़ा रही है। न्यायालयों के फैसले हिंदी में हो, इस मांग क़ो मेरा भी समर्थन है। सुश्री स्मृति सिंह के विचारों से न्यायमूर्ति इतने प्रभावित हुए कि यहां तक कह डाला कि आपको क़ो नीति निर्धारको की समिति में जगह मिलनी चाहिए।