Breaking News

रेल विभाग की अदूरदर्शिता से यात्रियों की हो रही है फ़जीहत : लगन के मौसम में ट्रेनों क़ो कैंसिल करने व रिफंड न करने पर उठ रहा है सवाल, माननीय सर्वोच्च न्यायालय क़ो लेना चाहिए स्वतः संज्ञान



मधुसूदन सिंह

लखनऊ।। इस समय शादियों का पीक समय चल रहा है। लोग एक शहर से दूसरे शहर शादियों में शामिल होने के लिये जा रहे है। एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिये सबसे सस्ता व सुरक्षित के साथ अगर कोई साधन है तो वह रेल गाड़ी है। लोग दो माह पहले अपनी यात्रा के लिये आरक्षण भी करवा चूके थे। लेकिन इस बार रेलवे ने लोगों क़ो ऐसे परेशान किया है जिसकी जितनी भी निंदा की जाय वह कम होंगी। वातानुकूलित कमरों में बैठ कर रेल गाड़ियों क़ो निरस्त करने वाले अधिकारियों क़ो आम लोगों की परेशानियों से कोई मतलब ही नहीं होता है, रेल गाड़ियों क़ो अंधाधुंध निरस्त करने के फैसले से साबित हो गया है।

अदूरदर्शी निर्णय करने वाले अधिकारियों के चलते सबसे ज्यादे पूर्वांचल के लोग परेशान हुए है। यह ऐसा इलाका है जहां एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिये रेल ही मुख्य साधन है। लेकिन इस मौसम में इस सुविधा से लोगों क़ो मरहूम कर दिया गया है। उदाहरण के तौर पर छपरा से वाराणसी और छपरा से लखनऊ, छपरा से वाया गोरखपुर लखनऊ, छपरा से वाया देवरिया मऊ वाराणसी, छपरा से वाया मऊ शाहगंज अयोध्या लखनऊ आदि रूट की अधिकांश गाड़ियों क़ो निरस्त कर दिया गया है। यह निर्णय कही से भी सही नहीं कहा जा सकता है। सबसे बड़ी अदूरदर्शिता तो ट्रेनों के निरस्त होने के बाद भी रिफंड न करना है। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सरकार क़ो कार्यवाही करनी चाहिये। अगर आप ट्रेन निरस्त कर रहे है तो रिफंड भी तुरंत क्यों नहीं दे रहे है?





छपरा से वाया बलिया लखनऊ के लिये दो प्रमुख ट्रेन -उत्सर्ग एक्सप्रेस और छपरा लखनऊ एक्सप्रेस है। अगर इन दोनों क़ो निरस्त करना आवश्यक था तो दोनों क़ो अल्टरनेट करके एक दिन निरस्त करके एक क़ो एक दिन चलाना चाहिये। लेकिन वातानुकूलित कमरों में बैठने वाले रेलवे के अधिकारियों क़ो इससे क्या? किसी क़ो पैसा रिफंड मिले या न मिले, इससे इनको क्या फर्क पड़ेगा? इनको क्या पता कि कोई अगर अप और डाउन के लिये अगर 20-20 टिकट आरक्षित कराया हो, ट्रेन कैंसिल हो जाय और रिफंड भी न मिले तो उसकी क्या दशा होंगी? इस मामले में तो माननीय उच्च न्यायालय या माननीय सर्वोच्च न्यायालय क़ो स्वतः संज्ञान लेकर जनहित में रेलवे के निरंकुश अधिकारियों क़ो दण्डित करना चाहिए।