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है राम सबकी आत्मा, परमात्मा जीवात्मा....



है राम सबकी आत्मा, परमात्मा जीवात्मा....

गीतकार - मधुसूदन सिंह

बलिया।।

है राम सबकी आत्मा, परमात्मा जीवात्मा

है सृष्टि इनसे चल रही, यही है सबकी आत्मा.....

ज़ब ज़ब धरा पर पाप का, बढ़ता है देखों भार तब

वाराह कक्षप हयग्रीव, नरसिंह के अवतार है.....   है राम

जो दसों इन्द्रियों को रथ बना दे, ऐसे दशरथ के लाल है

कौशल्या नंदन राम ही, जगतपिता भगवान है, है राम...



जिसने सिखाया धर्म को, बेटा भाई पति के कर्म को

मर्यादा कैसे रखते है,पितु मातु और गुरु देव की, है राम....

कोई न छोटा है बड़ा, कोई न ऊंच नीच है

मनुज दानव जीव जन्तु, पौधों में भी यही ईश है, है राम.....

चौदह बरस के वनवास में , मानवता का रक्षण किये

भीलनी के जूठे बेर खा कर, छुआछूत को किया  दूर है, है राम...

रावण को मारकर दे दिया, जग को यही है सन्देश है

तेरी न कोई हस्ती है, तेरी न कोई कश्ती है,

जो है सभी मधुसूदन  जगदीश है,

 है राम.........


मधुसूदन सिंह

आनंद नगर बलिया

उत्तरप्रदेश 277001