बलिया पुलिस का बड़ा कारनामा : नाबालिग छात्र क़ो भेजा जिला जेल, परिजन लगा रहे पुलिस अधिकारियों की चौखट पर गुहार
मधुसूदन सिंह
बलिया।। स्थानीय पुलिस क़ो बड़े अधिकारी जहां मित्र पुलिस बनाने के प्रयास में लगे हुए है तो वही थाने स्तर के अधिकारी अपने कृत्यो से पुलिस की छवि क़ो दागदार बनाने पर तुले हुए है। पुलिस की छवि क़ो दागदार बनाने का कारनामा दुबहड़ पुलिस ने किया है। इन लोगों ने एक ऐसे लगभग 13 साल के छात्र क़ो बालिग़ बताकर जेल भेजा है, जो इन्ही के थाने में सितम्बर माह में छात्रों के बीच हुई मारपीट में माननीय किशोर न्याय बोर्ड बलिया से जमानत प्राप्त की हुई है। अब ज़ब इस संबंध में विवेचक महोदय से बात की गयी तो उनका कहना है कि गिरफ्तारी के समय उपरोक्त आरोपी ने अपने उम्र संबंधी कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया था, जिसके कारण उसको बालिग़ मानकर जेल भेज दिया गया। यह बयान देते समय विवेचक जी व थानाध्यक्ष जी यह भूल गये कि ज़ब कोई भी आरोपी क़ो पुलिस गिरफ्तार करती है तो वह उसके आपराधिक इतिहास क़ो खंगालती है। पिछले सितम्बर माह की घटना, थाने में दर्ज 307 का मुकदमा भी याद नहीं आया? या कोई और बात थी, यह हजम नहीं हो रही है।
बता दे कि दुबहड़ थाना क्षेत्र के एक गांव की एक किशोरी (उम्र लगभग 17 व 18 के बीच )के परिजनों ने अपराध संख्या 0202/2023 दफा 363,366,504,506 आईपीसी के तहत 18 दिसंबर 2023 क़ो कुनाल सिंह पुत्र संगम सिंह, करन सिंह पुत्र संगम सिंह और संगम सिंह पुत्र अज्ञात के खिलाफ लड़की क़ो बहला फुसला कर भगाने व धमकी देने का मुकदमा दर्ज कराया है। लड़की का माननीय न्यायाधीश के सामने 164 का बयान भी दर्ज हो गया है। इसी मुक़दमे में स्थानीय पुलिस ने कुनाल सिंह (उम्र 13 वर्ष ) क़ो 31 दिसंबर 2023 क़ो गिरफ्तार के जिला कारागार में भेज दिया है। वही दूसरा आरोपी करन सिंह की भी उम्र लगभग 15 साल ही है, जो अभी पुलिस की पकड़ में नहीं आया है, नहीं तो वह भी जेल की हवा खा रहा होता। यह भी बता दे कि इन लड़को के माता पिता की शादी 2006 में हुई थी ।
सूच्य हो कि छात्रों के बीच किसी बात क़ो लेकर मारपीट की घटना 20.9.2023 क़ो हुई थी, जिसमे करन सिंह व कुनाल सिंह के खिलाफ दुबहड़ थाने में अपराध संख्या 162/2023 दफा 307 आईपीसी दर्ज हुआ था। इसी मुक़दमे में माननीय किशोर न्याय बोर्ड बलिया ने 3.11.2023 क़ो दोनों क़ो नाबालिग घोषित किया था। इसके बाद दोनों क़ो बाद में जमानत मिल गयी। ये सभी बातें और दस्तावेज थाने में जमा है, हल्का का सिपाही व दरोगा जी क़ो भी पता होना चाहिए। वावजूद अगर ऐसा हुआ है और एक नाबालिग पिछले सात दिनों से जेल के अंदर खूंखार अपराधियों संग है तो इसका जिम्मेदार कौन है? अगर इन बच्चों ने अपराध किया है तो उनको किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया जाना चाहिए, न कि जिला एवं सत्र न्यायालय में जहां बालिग़ आरोपियों क़ो प्रस्तुत किया जाता, जो न जाने किस कारण से नहीं किया गया।
इस संबंध में ज़ब अपर पुलिस अधीक्षक बलिया से बात की गयी तो उनका कहना था कि इस प्रकरण की जांच करायी जायेगी और अगर इसमें किसी किस्म की लापरवाही मिलती है तो जरूर कार्यवाही की जायेगी।
वही कुनाल के माता पिता का आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने उनके द्वारा दिखाये गये किसी भी साक्ष्य क़ो दिखाने के बाद भी किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष न प्रस्तुत करके जेल भेज दिया है। यह किशोर के मानवाधिकार का हनन भी है। मेरा बच्चा अगर दोषी है तो किशोर न्याय बोर्ड सजा देगा। यही नहीं स्थानीय पुलिस ने मेरे लड़के का बैग, उसमे रखे कपड़े और दो मोबाइल भी लें लिया है और दे नहीं रही है, मेरा बच्चा जेल में बिना गर्म कपडे के ही इस ठंड में रह रहा है।