13 फरवरी को "दीनदयाल जी के विचारों की प्रासंगिकता " विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का जेएनसीयू में आयोजन
बलिया।। पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के निदेशक प्रोफेसर रामकृष्ण उपाध्याय ने दीनदयाल जी के स्मृति दिवस(11 फरवरी )के अवसर पर आयोजित होने वाली राष्ट्रीय संगोष्ठी के संबंध में स्थानीय एक होटल में प्रेसवार्ता के माध्यम से जानकारी शेयर की।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के निदेशक प्रोफेसर रामकृष्ण उपाध्याय ने दीनदयाल जी के स्मृति दिवस के अवसर पर 13 फरवरी 2024 समय 1:30 बजे अपराह्न में जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के सभागार में विकसित भारत @ 2047 : "दीनदयाल जी के विचारों की प्रासंगिकता " विषय पर होने वाली राष्ट्रीय संगोष्ठी का महत्व बताते हुए कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने हमेशा भारत के लिए एक विकसित वैभवशाली एवं गौरवपूर्ण राष्ट्र की कल्पना की थी। विकसित राष्ट्र ऐसे होते हैं जहां प्रति व्यक्ति आय अधिक होती है,सकल घरेलू उत्पाद का स्तर ऊंचा होता है, जीवन स्तर उच्च होता है,देश की आधारभूत संरचना विकसित होती है, गरीबी और बेरोजगारी का स्तर कम होता है एवं नवीन तकनीकी संपन्न होता है। विकसित राष्ट्र को अक्सर उनके शिक्षित आबादी उन्नत प्रौद्योगिकी उच्च स्तर का शहरीकरण उच्च मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) और स्थिर अर्थव्यवस्था से पहचाना जाता है।
दीनदयाल जी भारत के एक प्रमुख राजनीतिज्ञ,समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री,इतिहासकार,पत्रकार और ख्यातिलब्ध चिंतक थे। उन्होंने भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए एकात्म मानववाद, सामाजिक समरसता, अंत्योदय एवं आत्मनिर्भरता दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया। दीनदयाल जी भारतीय संस्कृति, धर्म और आध्यात्मिकता से अत्यधिक प्रभावित थे। उनका मानना था कि एक समृद्ध और सशक्त भारत केवल अखंड मानववाद के माध्यम से ही संभव है। उन्होंने समाज में समरसता, समाजिक न्याय और समानता को प्रमुख माना। विभिन्न वर्गों के बीच सामाजिक और आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए आर्थिक लोकतंत्र को सच्चे प्रजातंत्र के लिए वे आवश्यक मानते थे। उन्होंने भारत को आत्मनिर्भर एवं गौरवपूर्ण बनाने के लिए स्वदेशी और अंत्योदय को महत्वपूर्ण माना। उन्होंने बताया कि भारत गांव का देश है बिना ग्रामोदय के राष्टोदय संभव नहीं है। इसके लिए उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर एवं लघु उद्योगों के साथ-साथ परस्परावलम्बी एवं परस्परपूरक क्षेत्रों के विकास पर विशेष बल दिया।
कहा कि आगामी फरवरी 2024 ko 1.30 बजे अपरान्ह में पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ,जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी समारोह के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नई दिल्ली के राष्ट्रीय संगठन सचिव,विख्यात राष्ट्रीय चिंतक डॉ बालमुकुंद जी हैं । प्रो उपाध्याय ने बलिया और आसपास के जनपदों के आचार्यों,शोधार्थियों, शिक्षा प्रेमियों, शुभेच्छुओं से करबद्ध निवेदन करते हुए कहा कि महान भारतीय चिंतक पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार दर्शन के आधार पर किस प्रकार से भारत पुनः पूर्व से भी अधिक विकसित, गौरवपूर्ण, वैभवशाली,समृद्ध,सशक्त और समर्थ बन सकेगा, विषय पर क्या तिलक इतिहासकार डॉक्टर बालमुकुंद जी के सारगर्भित उद्बोधन से लाभान्वित होने के लिए अधिक से अधिक संख्या में निश्चित समय से 10 मिनट पूर्व विश्वविद्यालय सभागार में पहुंचने की कृपा करें। प्रेस वार्ता के समय प्रमुख रूप से विनय कुमार सिंह हरिनारायण राय राघवेंद्र कुमार पांडे प्रवीन प्रताप सिंह उपस्थित थे।