Breaking News

जिले में मनाया गया राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस, मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने किया शुभारंभ :छूट गये बच्चों को मॉपअप दिवस 15 फ़रवरी को खिलाई जाएगी दवा






बलिया,10 फरवरी 2024।।जनपद में शनिवार को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) मनाया गया। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. विजय पति द्विवेदी ने कंपोजिट विद्यालय तिलक प्राइमरी व इंदिरा जूनियर हाई स्कूल के प्रांगण में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम का शुभारंभ किया। विद्यालय में एक वर्ष से 19 वर्ष तक के सभी बच्चों को पेट के कीड़े निकालने वाली दवा खिलाई।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जिले में 16 लाख से अधिक बच्चों, किशोर- किशोरियो को कृमि मुक्ति (पेट से कीड़े निकालने की) दवा एल्बेंडाजोल खिलाई जानी है। जो बच्चे शनिवार को दवा खाने से छूट जाएंगे उनकों 15 फरवरी को दवा खिलाई जाएगी।

नोडल अधिकारी डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि इस अभियान के तहत सभी स्कूलों में सभी नामांकित बच्चों को अध्यापकों के जरिये दवा खिलाई गई। आंगनबाड़ी केन्द्रों पर एक से पांच साल के सभी पंजीकृत एवं गैर-पंजीकृत बच्चों और छह से 19 साल के स्कूल न जाने वाले सभी बालक/ बालिकाओं एवं ईंट भट्ठा इत्यादि पर कार्य करने वाले श्रमिकों एवं घुमंतू परिवारों के बच्चों को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के जरिये कृमि मुक्ति दवा खिलाई गई। गैर-पंजीकृत तथा स्कूल न जाने वाले बच्चों को आशा कार्यकर्ताओं ने नजदीकी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर दवा खिलाई । जो बच्चे बीमार थे या कोई अन्य दवा ले रहें हैं, उन्हें एल्बेंडाजोल नहीं खिलाई गई। उन्होंने बताया कि किसी कारण शनिवार को जो बच्चे दवा नहीं खा पाए उनको मॉपअप दिवस 15 फ़रवरी को दवा खिलाई जाएगी।





              क्यों जरूरी है दवा खाना 

नोडल अधिकारी ने बताया कि बच्चे अक्सर कुछ भी उठाकर मुंह में डाल लेते हैं या फिर नंगे पांव ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे उनके पेट में कीड़े विकसित हो जाते हैं। अगर यह कीड़े पेट में मौजूद हैं तो बच्चे के आहार का पूरा पोषण कृमि हजम कर जाते हैं। इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है। बच्चा धीरे-धीरे खून की कमी (एनीमिया) समेत अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। कृमि से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए यह दवा (एल्बेंडाजोल) एक बेहतर उपाय है। इसे खाकर पेट के कीड़े निकल जाते हैं। जिन बच्चों के पेट में पहले से कृमि होते हैं उन्हें कई बार दवा खाने से कुछ हल्के प्रतिकूल प्रभाव हो जाते हैं। जैसे हल्का चक्कर, थोड़ी घबराहट, सिर दर्द, दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, मितली, उल्टी या भूख लगना। इससे घबराना नहीं चाहिए।

इस अवसर पर वेक्टर बॉर्न डिजीज कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ अभिषेक मिश्रा, अर्बन नोडल डॉ.राकिफ़ अख्तर, जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. आर बी यादव, सभासद सूरज तिवारी, शैलेश कुमार श्रीवास्तव,सोनी सिंह, देवयंती यादव, रूप नारायण रावत,नीलम त्रिपाठी, रेड क्रॉस सोसाइटी के सदस्य, प्रधानाचार्य,आँगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं।