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आशा व संगिनियों ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर महिला अस्पताल के चिकित्सकों पर लगाया गंभीर आरोप, उठायी न्यूनतम 26 हजार मासिक वेतन की मांग



मधुसूदन सिंह

बलिया।। आशा कर्मचारी यूनियन बलिया की आशाओं और संगिनियों ने जिला मंत्री/ प्रदेश मंत्री शशि सिंह के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर अपनी विभिन्न मांगो से संबंधित पत्रकार जिलाधिकारी के प्रतिनिधि नगर मजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री को प्रेषित की। जिला मंत्री शशि सिंह जिला महिला अस्पताल के चिकित्सकों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मरीजों का अल्ट्रासॉउन्ड और अन्य रिपोर्ट लेकर जाने पर चिकित्सकों द्वारा आशाओं के साथ अमर्यादित व्यवहार किया जाता है और चिकित्सकों द्वारा अपने संबंधित अल्ट्रासॉउन्ड और जांच घर से दुबारा जांच कराकर रिपोर्ट लाने का दबाव बनाया जाता है, इसको तत्काल रोका जाय। साथ ही प्रसव के बाद प्रमाण पत्र और बच्चें का जन्म प्रमाण पत्र एक साथ दिलाया जाय। प्रमाण पत्र के लिये महिला अस्पताल में आशाओं का जो मानसिक और आर्थिक शोषण होता है, उसको तत्काल रोका जाय।







शशि सिंह ने आगे कहा कि आशाओं की नियुक्ति के लिये योग्यता 8 वी पास है। लेकिन सरकार द्वारा उससे कई काम ऐसे कराये जा रहे है जो अंग्रेजी में होते है। ऐसे ही आभा कार्ड बनाने की जिम्मेदारी आशाओं को दी गयी है, जिसको बनाने में आशाओं को बहुत परेशानी हो रही है। इस को बनाने में आशाओं को अपने पति या बच्चों की मदद लेनी पड़ रही है। श्रीमती सिंह ने कहा कि मात्र दो हजार रूपये के मानदेय पर अगर पति या बच्चें को भी लगाना पड़े तो ये लोग अपना काम कब करेंगे। कहा कि इसी लिये हमारी मांग है कि हमारे सारे प्रोत्साहन भत्तों को बंद कर कम से कम 26 हजार रूपये मासिक वेतन राज्य कर्मचारियों की भांति दिया जाय।




कहा कि सरकार द्वारा कोविड काल में सभी आशाओं और संगिनियों को 50 लाख के बीमा से अच्छादित किया गया था। हमारी मांग है कि 50 लाख के बीमा से पुनः सभी आशाओं और संगिनियों को अच्छादित किया जाय। साथ ही PMVY लाभार्थी की लॉगिंग आशा की आईडी से कराया जाय ताकि लाभार्थियों को सुविधा अविलंब मिल सके।

साथ ही आशा व संगिनी की जहां रिक्त स्थान है, वहां आशा / संगिनी की नियुक्ति अविलंब किया जाय।HBNC की ट्रेनिग जहां नहीं हो पायी है जल्द से जल्द करायी जाय। साथ ही जिन जिन उपकेन्द्रों पर CHO की नियुक्ति नही है अविलंब किया जाय जिससे की वहां की आशा व संगिनी के कार्य में गुणवत्ता के साथ ही साथ आशा का आर्थिक नुकसान ना हो।