फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को लेकर ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर हुए प्रशिक्षित
10 फरवरी से सोहांव ब्लॉक में चलेगा सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान
घर-घर जाएंगे स्वास्थ्य कर्मी, अपने सामने ही खिलाएँगे फाइलेरिया से बचाव की दवा
बलिया, 02 फरवरी 2024।।फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) नरही में बृहस्पतिवार को जन सामान्य को फाइलेरिया की दवा खिलाने के लिए ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर (दवा सेवन कराने वाले स्वास्थ्य कर्मी) को प्रशिक्षित किया गया। यह प्रशिक्षण स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में पाथ, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) व पीसीआई संस्था के सहयोग से आयोजित किया गया। जनपद के सोहांव ब्लॉक मे 10 फरवरी से 28 फरवरी के बीच सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान संचालित किया जाएगा।
दो बैच में चले इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव, अधीक्षक डॉ पंकज कुमार, ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक धर्मेन्द्र सिंह, ब्लॉक सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक मिथिलेश कुमार, पाथ के आरएनटीडीओ डॉ अबू कलीम, जिला समन्वयक नितेश कुमार, पीसीआई संस्था के प्रतिनिधि, सीफार संस्था के प्रतिनिधि ने 80 ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर को दवा खिलाने के संबंध में प्रशिक्षित किया । प्रशिक्षण में फाइलेरिया बीमारी एवं उसके लक्षण, रोकथाम एवं एमडीए अभियान के बारे में जानकारी दी ।
जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) सुनील कुमार यादव ने बताया कि फाइलेरिया मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इसे लिम्फोडिमा (हाथी पांव) भी कहा जाता है। मच्छर काटने के बाद इस बीमारी के लक्षण 5 से 10 वर्षों के बाद देखने को मिलते हैं। यही वजह है कि शुरूआत में इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। फाइलेरिया एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति में मच्छर के काटने से फैलता है। इसके प्रभाव से पैरों व हाथों में सूजन, पुरुषों मे हाइड्रोसील ( अंडकोष में सूजन ) और महिलाओं में स्तन में सूजन की समस्या आती है। यह बीमारी न सिर्फ व्यक्ति को दिव्यांग बना देती है बल्कि इस वजह से मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया का सम्पूर्ण इलाज तो नहीं है लेकिन बीमारी की शुरुआत में सरकारी अस्पताल से दवा का सेवन किया जाए तो बीमारी को बढ़ने से रोक सकते हैं। उन्होंने बताया कि स्वस्थ व्यक्तियों को यह बीमारी न हो इसके लिए वर्ष में एक बार एमडीए अभियान चलाकर घर-घर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाती है। इसके अलावा मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें। घर के आस- पास व अंदर साफ-सफाई रखें, आस पास पानी जमा न होने दें ।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नरही के अधीक्षक डॉ. पंकज कुमार ने कहा कि इस अभियान के अन्तर्गत घर-घर जाकर एक वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों को छोड़कर सभी को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए डी.ई.सी और एल्बेंडाजोल की निर्धारित खुराक स्वास्थ्यकर्मी अपने सामने खिलाएंगे एवं किसी भी स्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जायेगा। उन्होंने बताया कि जिन व्यक्तियों में फाइलेरिया के सूक्ष्म परजीवी पहले से मौजूद होते हैं उनमें दवा खाने के बाद चक्कर आना, जी मितलाना जैसी समस्याएं हो सकती हैं लेकिन घबराना नहीं हैं | कुछ समय बाद ठीक हो जायगा | इसके बाद भी अगर कोई दिक्कत लगती है तो इसके लिए रैपिड रिस्पॉन्स टीम (आरआरटी) का गठन किया गया है जो मौके पर पहुँच कर इलाज मुहैया कराएंगे इसके अलावा निकटतम स्वास्थ्यकर्मी या स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर भी संपर्क किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अभियान की सफलता के लिए सीफार व पीसीआई संस्था के द्वारा सामुदायिक स्तर पर जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। साथ ही फाइलेरिया पेशेंट प्लेटफार्म के सदस्यों के माध्यम से स्कूली बच्चों व समुदाय को जागरूक किया जा रहा है।
पाथ संस्था के आरएनटीडीओ डॉ अबू कलीम ने बताया कि इस बीमारी के दुष्परिणाम कई वर्षों के बाद देखने को मिलते हैं। शुरूआत में इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं और जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रसित व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है और जब यही मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के परिजीवी रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं।