कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष विजय ओझा की मां त्रिगुना देवी के निधन पर फैली शोक की लहर, शोक संवेदना व्यक्त करने वालों का लगा ताँता
26 मार्च मंगलवार की देर रात लीं थीं अंतिम सांस
बलिया।। जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष विजय ओझा की मां का पिछले मंगलवार को निधन के बाद इनके घर शोक संवेदना व्यक्त करने वालों का ताँता लगा हुआ है।मां तो मां ही होती है। मां की जीवन मे ऐसी जगह होती है जिसे कोई कभी पूरी नहीं कर सकता। रेवती थाना क्षेत्र के अचलगढ़ गांव निवासी व कांग्रेस कमेटी के जिला उपाध्यक्ष विजय ओझा की 92 वर्षीय मां त्रिगुना देवी नहीं।26 मार्च यानी मंगलवार की देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली। अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गई हैं। 27 मार्च को पंचरुखिया घाट पर सबसे छोटे पुत्र मनोज ओझा ने मुखाग्नि देकर अपनी माता को अनंत यात्रा पर रवाना किया।
मां शब्द ही ऐसा है जिसे मनुष्य ज़ब किसी संकट मे पड़ता है तो याद करता, बड़ा संकट उमड़ता है तब निश्चित ही पिता की याद आती है। भोजपुरी में उस समय चिल्लाकर "बोला जाता है कि बाप हो बाप या बाप रे बाप" लेकिन इस सभी के बीच यह भी कहा जाता है कि मौत सच है ,यह होना ही है। हां इतना जरूर है कि सामयिक और असामयिक निधन जिस पर दुख व्यक्त किया जाता है। अचलगढ़ निवासी व जिला कांग्रेस कमेटी उपाध्यक्ष विजय ओझा ने बताया कि मेरी मां बहुत मिलनसार थीं। हम पांच भाई हैं जिनमें मैं सब से बड़ा हूं, 92 साल की उम्र में भी मां त्रिगुना हमेशा समझाती थीं कि बेटा आप सभी भाइयों में बड़े हो ,आप पर बहुत जिम्मेदारी है। हमेशा हौसला अफजाई मां ने किया।
पांच पुत्रों की मां त्रिगुना अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गईं है, बस अब उनकी कमी खलती रहेगी।विजय ओझा ने बताया कि परिवार में कोई कमी नहीं है ,बस कमी अब मां की रह गई जो अब नहीं है।ऐसे भरा पूरा परिवार छोड़ कर माता जी चली गईं। उन्होंने कहा कि पांच भाई में सब से बड़ा मैं हूं, दूसरे नंबर पर सत्यनारायण ओझा,तीसरे ओमप्रकाश ओझा,चौथे भाई कृपा शंकर ओझा जो अचलगढ़ गांव के ग्राम प्रधान भी रहे और सब से छोट भाई मनोज ओझा जिन्होंने ने ( मुखाग्नि दिया ) दाह संस्कार किया है। कहा कि परिवार में कोई कमी नहीं है, मां के आशीर्वाद से ही हम पांचों भाई संगठित हैं। आगामी 7अप्रैल को श्राद्ध संस्कार (ब्रह्मभोज) का आयोजन किया जायेगा ।