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काशी ज्ञानवापी, मथुरा और भोजशाला प्रकरण के प्रमुख वादी कुलदीप तिवारी को सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (इंटर कॉलेज ) ने शिक्षक पद से हटाया, कारण जानकर हो जायेंगे हैरान



डीएम को पत्रक देकर श्री तिवारी ने प्रबंधन पर लगाया गंभीर आरोप 

लखनऊ।। सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (इंटर कॉलेज) लखनऊ में शिक्षण कार्य करके अपना जीविकोपार्जन करने वाले और इस नौकरी से होने वाली अपनी आय का बड़ा हिस्सा धर्म और राष्ट्र कार्यों में लगाने वाले धर्मनिष्ठ व्यक्तित्व कुलदीप तिवारी को उनके द्वारा किए जा रहे हिंदुत्व कार्यों के कारण विद्यालय ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया।

कुलदीप तिवारी  काशी ज्ञानवापी, मथुरा और भोजशाला प्रकरण के प्रमुख वादी होने के साथ साथ अवैध मस्जिद मजारों को ध्वस्त किए जाने तथा मुस्लिम बहुविवाह प्रथा के विरुद्ध याचिकाएं लगा रखी हैं जिन पर सुनवाई चल रही है।

कुलदीप ने ही रामायण को गलत तरीके से दिखाने वाली फिल्म अदिपुरुष के खिलाफ लखनऊ हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी जिस पर फिल्म मेकर्स और सेंसर बोर्ड को फटकार पड़ी थी।

कुलदीप तिवारी सदैव माथे पर तिलक लगाते हैं और शिखा धारण करते हैं और अपने सनातनी प्रतीक चिन्हों पर गर्व करते हैं। साथ ही दूसरों को भी इसे धारण करने के लिए प्रेरित करते हैं।

कुलदीप पर उनके द्वारा की गई PIL (जनहित याचिकाएं) वापस लेने के लिए सीएमएस द्वारा अनैतिक दबाव डाला गया और कहा गया कि हम पर ऊपर से दबाव है, आप केसेज वापस लीजिए या फिर सीएमएस छोड़ दीजिए।

सीएमएस के इस दबाव को स्वीकार न करने पर अंततः सीएमएस ने उल्टी सीधी कहानियां गढ़ कर उन्हें 30 जून 2024 से नौकरी से निष्कासित कर दिया।इस सम्बन्ध में कुलदीप तिवारी ने जिलाधिकारी को शिकायत भी भेजी है। 

सीएमएस पर लगाया यह गंभीर आरोप 

हिंदुओं के धर्म परिवर्तन का कार्य लखनऊ के विद्यालयों द्वारा भी किया जा रहा है। मदरसे और इस्लामिक स्कूल तो कर ही रहे थे, मिशनरी स्कूल तो बच्चों को ईसाई बना ही रहे थे, लेकिन जिसे आप हम सभी ने कभी गौर से नहीं देखा वह है सीएमएस (सिटी मॉन्टेसरी स्कूल लखनऊ.....)

सीएमएस लखनऊ खुलकर बच्चों को बहाई बना रहा है। हर साल रमजान के दौरान ब्रांचेस में रोजा इफ्तार पार्टियां कराई जाती हैं। न जाने कितने टीचर और कर्मचारी बहाई बन चुके हैं लालच में आकर। बहाई बनाने के लिए बाकायदे गोष्ठियां बैठके होती हैं जिन्हे सत्संग का नाम दिया जाता है।सीएमएस अपनी मॉरल टीचिंग के नाम पर बच्चों को सनातनी संस्कृति से दूर कर रहा है और बहाइज्म भर रहा है दिमाग में।छोटे नासमझ बच्चे इनका बड़ा टारगेट हैं।

श्री तिवारी ने कहा है कि आप लोगों का विचार जानने के लिए लखनऊ से जुड़े किसी भी फेसबुक अकाउंट में यह प्रश्न डालकर देखिए कि बहाई में कनवर्जन कौन करता है, आपको हजारों जवाब मिलेंगे कि सीएमएस करा रहा है। सब जान रहे हैं पर चुप हैं।


सीएमएस के संस्थापक जगदीश अग्रवाल (गांधी )बन गये थे बहाई 

श्री तिवारी ने आरोप लगाया है कि सीएमएस एक बहाई पंथ को मानने वाली संस्था है। 1974 में इसके संस्थापक जगदीश अग्रवाल (बाद में गांधी नाम रख लिया) ने परिवार सहित बहाई पंथ अपनाया था और स्कूल चलाने के लिए बड़ा चंदा (फंड) उठाया था और इन्हीं सब से अब स्कूल को इतना आगे बढ़ाया है। असल में जगदीश गांधी 1960 के दशक से ही बहाई पंथ से जुड़ चुके थे। सीएमएस में टीचर्स और कर्मचारियों को लालच और दबाव देकर बहाई बनाया जाता है, अनेकों कर्मचारी असल में बहाई बन चुके हैं।

विद्यालय में बच्चों को नैतिक शिक्षा के नाम पर बहाई शिक्षा की तरफ मोटिवेट किया जाता है। ब्रेन वाश किया जाता है। इस्लाम के प्रति विशेष लगाव रखते हैं। विद्यालय में रमजान में हर ब्रांच में रोजा इफ्तार पार्टी कराई जाती है। हिंदू टीचर्स और कर्मचारी निकाल कर धीरे धीरे मुसलमान भरे जा रहे हैं। बच्चों की फीस माफी के नाम पर बहुतायत में सिर्फ मुसलमानों को ही किया जाता है।

श्री तिवारी ने आरोप लगाते हुए कहा है कि यही कारण है कि  मेरे जैसे एक धर्मनिष्ठ व्यक्ति जो सनातन हित में हिंदुओं को जागृत करता है और सनातन हित के लिए मुसलमानों पर मुकदमा किए बैठा है,वो उसको सीएमएस जैसी संस्था कैसे बर्दाश्त करेगी?


कुलदीप तिवारी 

मोबाइल - 82990 95325


कुलदीप तिवारी के समर्थन मे लोगों ने क्या कहा---






           23 जनवरी 2024 की खबर 

24जनवरी 2024 को बहाई धर्म से हुआ जगदीश गांधी का पार्थिव शरीर दफन 

अंतिम दर्शन के लिये रखा गया डॉक्टर जगदीश गांधी का पार्थिव शरीर, बुधवार को बहाई धर्म के अनुसार होंगे दफन 

लखनऊःसिटी मोंटेसरी स्कूल के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी का पार्थिव शरीर मंगलवार 23 जनवरी को गोमती नगर विस्तार स्थित सिटी मोंटेसरी स्कूल के सेकंड कैंपस में रखा गया।शहर के सभी गण मान्य लोगों और स्कूल के प्रिंसिपल स्टाफ ने उनके शरीर के अंतिम दर्शन किया. डॉक्टर जगदीश गांधी का अंतिम संस्कार बुधवार को बहाई धर्म के रीति रिवाज के अनुसार (Dr. Jagdish Gandhi's last rites will be performed as per Bahai religion) किया जाएगा. इसमें केवल परिवार के ही लोगों को सम्मिलित होंगे.सीएम योगी ने कहा अपूरणीय क्षति:डॉ. गांधी की मृत्यु पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक संवेदना व्यक्त की हैं. मुख्यमंत्री ने पत्र जारी कर डॉक्टर जगदीश गांधी को शिक्षामित्र और प्रखर समाजसेवी बताया है. अपने पत्र में सीएम ने कहा है कि उन्होंने सीएमएस के रूप में जी शैक्षिक प्रकल्प की स्थापना की है. वह आज न केवल उत्तर प्रदेश का अपितु पूरे देश में शिक्षा जगत के समक्ष एक अनुकरणीय उदाहरण बन चुका है. वसुदेव कुटुंबकम के सिद्धांत को अंगीकार का डॉक्टर गांधी ने सिटी मोंटेसरी स्कूल के लाखों छात्राओं के आचरण में इस सिद्धांत को अंकित करने का कार्य किया।


अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किये गये थे: समाज हित के बहुआयामी योगदान के लिए आज डॉक्टर जगदीश गांधी जी को यूनेस्को प्राइस फॉर पीस एजुकेशन सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है डॉक्टर जगदीश गांधी जी का निधन शिक्षा जगत एवं परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है. दो गांधी के अंतिम दर्शन करने में अनएडेड स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल, पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार महेंद्र सिंह सहित शहर के कई लोगों ने उनके अंतिम दर्शन किये.दफन किया जाएगा डॉक्टर गांधी का पार्थिव शरीर: डॉ जगदीश गांधी ने 1960 के दशक में बहाई धर्म अपना लिया था. उनकी मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार भी इसी धर्म के मान्यता के अनुसार ही किया जाएगा. परिवार वालों क्या कहना है कि डॉक्टर गांधी का अंतिम संस्कार बहाई धर्म के अनुसार होगा इसमें केवल परिवार के लोग ही शामिल होंगे. उनका पार्थिव शरीर भैंसा कुंड श्मशान घाट के बगल में स्थित बहाई कब्रिस्तान में दफन किया जाएगा. भाई अंतिम संस्कार सेवाओं के नियम के अनुसार मृत्यु के दो या तीन दिन के भीतर अंतिम क्रिया आयोजित की जाती है।



शिलालेख और अंगूठी के साथ दफनाए जाएंगे

 इसमें मेहमान व्यक्तिगत पसंद और स्थानीय रीति रिवाज के अनुसार कपड़े पहन कर अंतिम क्रिया में शामिल होते हैं. परिवार के लोग मृत्य व्यक्ति के लिए प्रार्थना पढ़ने की व्यवस्था करता है. बहाई मान्यता के अनुसार पार्टी शरीर को कफ़न में लपेटकर एक शिलालेख और एक अंगूठी के साथ दफन किया जाता है जिस पर इनके धर्म से जुड़े बात लिखी होती है. इस धर्म की मान्यता के अनुसार मृत व्यक्ति की 100 यात्रा उसके मृत्यु के स्थान से 1 घंटे की ज्यादा दूरी पर नहीं होना चाहिए.क्या है बहाई धर्म:बहाई धन की स्थापना इराक के बगदाद शहर में बगदाद शहर में स्थापित किया था. यह एक ईश्वरवाद और विश्व भर के विभिन्न धर्म और पैंटों की एकमात्र आधारशिला पर जोड़ देता है इस धर्म के अनुयायिभाव अल्लाह को पूर्व के अवतारों बुद्ध, कृष्णा, ईसा, मूसा, मोहम्मद आदि की वापसी मानते हैं. इस धर्म की किताब किताबें-ए- अकदस बहाई धर्म का मुख्य धार्मिक ग्रंथ है. बहाई धर्म की मान्यताओं के मुताबिक दुनिया के सभी मानव धर्म का एक ही मूल है इसके अनुसार कई लोगों ने ईश्वर का संदेश इंसानों तक पहुंचाने के लिए नए धर्म का प्रतिपादन किया है जो उसे समय और परिवेश के लिए उपयुक्त था.अवतार पुरुष थे जगदीश गांधी: मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने बताया कि वह मुख्य विकास अधिकारी के तौर पर 1990 से जानते थे. तब सीएमएस के 5 स्कूल थे. वह तब भी बच्चों में चरित्र निर्माण और वैश्विक मानव बनाने की बात करते थे. बच्चों से सीधे संवाद करना, हमेशा सीखते रहना और शिक्षा के लिए पूरी तरह समर्पण भावना रखते थे. उन्होंने हमेशा बच्चों के सम्पूर्ण विकास और रोजगारपरक शिक्षा को केंद्रित रखा. वह एक अवतार पुरुष है और हमेशा ही शिक्षा पुरुष के रूप में जाने जाएंगे भगवान ने उन्हें चुना था. अब नई जगह फिर से जन्म लेकर नई पारी की शुरुआत करेंगे.

अंतिम दर्शन में श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में प्रमुख रूप से उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह, सांसद रीता बहुगुणा जोशी, कमिश्नर रोशन जैबक, डीएम डॉ सूर्यपाल गंगवार, पूर्व मेयर संयुक्ता भाटिया, भाजपा जिलाध्यक्ष आनंद द्विवेदी, चीफ स्टैंडिंग काउंसिल हाईकोर्ट प्रशांत सिंह अटल, न्यायमूर्ति विष्णु सहाय, न्यायमूर्ति राकेश कुमार, फादर लेनिन चाको, फादर डोनाल्ड डिसूजा, धर्मगुरु मौलाना खालिद राशिद फारंगी महली, कल्बे सबरेन, मंडलायुक्त रोशन जैकब, डीएम सूर्य पाल गंगवार, विधायक योगेश शुक्ला, शिक्षक स्नातक एमएलसी अवनीश सक्सेना, विभिन्न स्कूलों के संस्थापक व प्रबंधक के साथ सैन्य व प्रशासनिक अधिकारी, साहित्यकार, समाजसेवी, शिक्षाविद शामिल रहे।

सुनिये स्व जगदीश गांधी कैसे हिन्दू संतो की खिचाई और इस्लाम धर्म की बड़ाई कर रहे है --