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शहर कोतवाल संजय सिंह हुए लाइन हाजिर, योगेंद्र बहादुर बने नये कोतवाल : सामने खड़ी है ये समस्याएं



बलिया। पुलिस अधीक्षक देव रंजन वर्मा ने शहर कोतवाल संजय कुमार सिंह को एक मुकदमे में हेरा फेरी करने के मामले में रविवार को लाइन हाजिर कर दिया। वहीं उनके स्थान पर मऊ से पधारे योगेंद्र बहादुर सिंह को शहर कोतवाल बनाया गया है। श्री सिंह मंगलवार को चार्ज ग्रहण करेंगे। सूच्य हो को नवागत कोतवाल पहले बलिया के विभिन्न थानों में अपनी सेवा प्रदान कर चुके हैं। एक बार उन्हें शहर कोतवाली की कमान एसपी द्वारा सौंपी गई है। 

विरासत मे मिलेगी ये समस्यायें 

नवागत शहर कोतवाल योगेंद्र बहादुर सिंह को वैसे तो कोतवाली की पूरी सीमाएं याद होगी और यहां की समस्याओं से भी पहले से ही वाकिफ है। लेकिन इस कार्यकाल मे जो समस्याएं इनको दायित्व ग्रहण करते ही परेशान करेंगी उनमे निम्न प्रमुख है ---

बलिया मे सुदखोरों के गिरफ्त मे फंस कर आत्महत्या करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। पिछले 11 जुलाई की सुबह मे फांसी के फंदे पर झूलते हुए सीडीओ बलिया के यहां कार्यरत चतुर्थ श्रेणी की मिली लाश और इसके पुत्र द्वारा अपने बयान मे सुदखोरों का नाम लेने के बाद भी, अबतक मुकदमा न लिखा जाना कोतवाली पुलिस की कार्य प्रणाली को कटघरे मे खड़ा करती है। आखिर मुकदमा लिखने मे कोतवाली पुलिस को क्या परेशानी है। पुलिस तो अज्ञात लाश मिलने पर भी तत्काल अज्ञात के खिलाफ मुकदमा लिख कर जांच करती है, तो इस मृतक राज्यकर्मचारी के मामले मे पुत्र द्वारा तहरीर देने के बाद भी आखिर मुकदमा क्यों नहीं लिख रही है? क्या सुदखोरों को बचाने मे लगी है कोतवाली पुलिस? सबसे बड़ा सवाल है कि ज़ब आईएएस अधिकारी के कर्मचारी का मुकदमा नहीं लिखा जा रहा है तो यह सोच सकते है कि आमजन के साथ निवर्तमान कोतवाल साहब क्या करते होंगे ? 

दूसरी बड़ी समस्या दिन मे घरों से होने वाली चोरी है। आनंद नगर मे 15 जुलाई से 18 जुलाई के मध्य तीन चोरियां हुई। लेकिन कोतवाली पुलिस अबतक चोर के पास नहीं पहुंच पायी है। 15 जुलाई की रात मे हुई एक एडवोकेट के घर की चोरी की तो एफआईआर तक नहीं लिखी गयी है। जबकि घटना के तत्काल बाद सूचना पर 112 की पीआरवी भी पहुंची थीं। जबकि दो चोरियां सुबह के 7 बजकर 15-20 मिनट व दोपहर के 12 बजकर 40-50 मिनट के बीच हुई। चोर आसपास के सीसीटीवी मे साफ दिख रहा है। लेकिन निवर्तमान कोतवाल साहब की कार्यप्रणाली से चोर आज भी स्वतंत्र है और कही चोरी की फिराक मे होगा।

अब देखते है अपनी दूसरी पारी मे योगेंद्र बहादुर सिंह कितने कारगर साबित होते है और बलिया शहर को अपराध मुक्त बना पाते है।