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एनसीईआरटी के द्वारा विज्ञापित ईडब्ल्यूएस कोटे से प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर आवेदन करना असंभव, शर्त ऐसी की नहीं आयेगा एक भी आवेदन

 


नईदिल्ली।। एक तरफ विश्वविद्यालयों मे प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसरों के रिक्त पड़े पदों के चलते पठन पाठन बाधित हो रहा है। वही ज़ब इन पदों को भरने की कबायत शुरू हुई तो नियमावली बनाने वालों ने ऐसी कठिन व अव्यवहारिक नियमावली बना दी है कि ईडब्ल्यूएस कोटे से कोई फॉर्म ही नहीं भर सकता है। ज़ब इसके कर्ताधर्ताओ से बात की गयी तो उनका सीधा जबाब था, वर्तमान नियमावली के अनुसार ही आवेदन स्वीकार किये जायेंगे, जबकि हनको भी बखूबी पता है कि इस नियमावली से एक भी फॉर्म भरे ही नहीं जा सकते है। ऐसे मे ईडब्ल्यूएस कोटे से प्रोफेसर के चार और एसोसिएट प्रोफेसर के 12 पदों पर एक भी फॉर्म जमा ही नहीं होंगे।

क्या है ईडब्ल्यूएस कोटे के नियमावली मे विसंगतियाँ 

एनसीईआरटी ने प्रोफेसर पद के लिए आवेदन का विज्ञापन निकाला है, जिसमे ईडब्ल्यूएस कोटे के लिये जो शर्त रखी गयी है, इन शर्त कोई पूरी ही नहीं कर सकता। परिषद ने प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर के 123 पदों पर सीधी भर्ती के लिए उम्मीदवारों से आवेदन मांगे हैं। इनमें से प्रोफेसर के 4 पद और एसोसिएट प्रोफेसर के 12 पद ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए आरक्षित हैं। यानी इन पदों के लिए केवल वही उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं, जिनकी पिछले वित्त वर्ष में सालाना आय 8 लाख रु. से कम हो। प्रोफेसर पद के आवेदन के लिए एक अनिवार्य शर्त यह है कि उम्मीदवार को एसोसिएट या असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कम से कम 10 वर्ष का अनुभव हो। सूच्य हो कि असिस्टेंट पद पर शुरुआती सालाना वेतन ही ईडब्ल्यूएस श्रेणी वाली आय 8 लाख से अधिक होता है।


विसंगति पर एनसीईआरटी अधिकारियों से पूछा गया कि जब पहले से पता है कि इस श्रेणी में इस तरह की शर्त से आवेदन आ ही नहीं सकता है तो ये पद आरक्षित क्यों रखे गए? तो बताया कि यह एक समस्या है, लेकिन इन पदों को अनारक्षित नहीं किया जा सकता। सीधी भर्ती के मामले में इंडब्ल्यूएस रोस्टर प्वाइंट नहीं हटाया जा सकता। ये पद खाली ही बने रहेंगे, क्योंकि इनका आवेदन नहीं आ सकेगा। ईडब्ल्यूएस रोस्टर प्वाइंट सामान्य या किसी दूसरी श्रेणी में देने की अनुमति नहीं है। ये कोई एनसीईआरटी का ही मामला नहीं है। किसी भी सरकारी संस्थान में पड़ताल कर लीजिए, हर जगह यही किस्सा मिलेगा, क्योंकि यह एक सरकारी नियम है। इसका पालन करना संस्थानों की बाध्यता है।


अनारक्षित करना ही समस्या का समाधान

शिक्षाविदों का कहना है कि यदि प्रोफेसर पदों या हायर फैकल्टी पदों को भरना है तो दो तरीके हो सकते हैं या तो ईडब्ल्यूएस श्रेणी में आवेदन के लिए निर्धारित आय सीमा बदली जाए या आवेदन न आने की स्थिति में उन्हें अनारक्षित किया जाए। इस समस्या पर सामाजिक न्याय मंत्रालय को नीतिगत फैसला लेना होगा, तभी समाधान निकल सकेगा। बता दें कि गरीब सवर्णों को केंद्र सरकार ने 10% का ईडब्ल्यूएस आरक्षण का प्रावधान किया है। इसी के तहत भर्तियों में आरक्षण दिया जा रहा।