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पुलिस पर है सबकी निगाह,पर इसी आड़ मे बच रहे है शराब तस्करी को बढ़ावा देने मे सहायक असली गुनहगार

 

 


मधुसूदन सिंह 

बलिया।। नरही पुलिस की वसूली पकड़ी गयी तो पुलिस विभाग मे नीचे से लेकर ऊपर तक बदलाव कर दिया गया। लेकिन जनपद मे एक ऐसा विभाग भी है जिसके अधिकारियों की गलत नीतियों के चलते युवाओं मे जल्द से जल्द पैसा कमाने के लिये तस्करी जैसे धंधे मे उतरते हुए देखा जा रहा है। हम बात कर रहे है आबकारी विभाग की। इसके अधिकारियों ने राजस्व बढ़ाने के नाम पर ऐसा खेल खेला है कि बिहार मे शराब की खेप भेजनी बहुत आसान हो गयी है। आज हम मात्र एक सर्किल बैरिया की चर्चा करेंगे, जो गंगा नदी के किनारे है।

बता दे कि बैरिया सर्किल मे 9 देशी, 5 अंग्रेजी और 4 वियर की खुदरा बिक्री की दुकाने है। जून माह मे इन दुकानों से 57319.60 बल्क लीटर देशी शराब, 146393.76 बोतल (750ml वाली )अंग्रेजी और 267348 केन बीयर की बिक्री हुई है। वही इसकी तुलना अगर बांसडीह सर्किल से करें, जहां 21 देशी, 6 अंग्रेजी और 7 बीयर की खुदरा दुकाने है, तो यहां जून माह मे 114781.40 बल्क लीटर देशी, 76376.2 बोतल अंग्रेजी और 178779.6 केन बीयर की बिक्री हुई है। अब अगर इसकी तुलना की जाय तो अंग्रेजी की एक दुकान कम होने के वावजूद बैरिया सर्किल मे लगभग 70000 बोतल अधिक शराब बेचीं गयी है। ऐसे ही बीयर मे बांसडीह की अपेक्षा 3 दुकान कम होने के वावजूद भी लगभग 90000 केन बीयर अधिक बेचीं गयी है। यानी लगभग 12200 पेटी फुल प्रतिमाह अंग्रेजी बेचीं गयी है।

                        ऐसे बढ़ा राजस्व 

पहले बैरिया सर्किल की दुकानों के लिये थोक अनुज्ञापी बलिया शहर मे थे, जिससे यहां सर बिहार तस्करी के माध्यम से भेजी जाने वाली शराब को कभी कोतवाली पुलिस, कभी दुबहड़ पुलिस तो कभी हल्दी पुलिस द्वारा पकड़ ली जाती थीं।इस परेशानी से निजात दिलाने के लिये राजस्व बढ़ाने के नाम पर आबकारी विभाग ने बैरिया सर्किल मे ही पांच थोक अनुज्ञापी बना दिया। जिसके चलते राजस्व तो बढ़ा लेकिन इस क्षेत्र मे तस्करी की जैसे बाढ़ आ गयी। यह आरोप यूं ही नहीं लग रहे है। बता दे कि सर्किल मे जो पांच थोक (अंग्रेजी ) के अनुज्ञापियों के गोदाम बने है, वें बैरिया दोकटी चक्की चांद दियर मे एक एक और शोभा छपरा मे दो है। वही खुदरा बिक्री वाली दुकाने दोकटी लालगंज चक्की चांद दियर रानीगंज और बैरिया मे स्थित है। लालगंज, शोभा छपरा और चक्की चांद दियर से नदी के रास्ते बिहार मे शराब की तस्करी करना आम बात है। इधर पुलिस द्वारा पकड़े जाने का भी खतरा कम है।

ऐसे मे यह सवाल तो उठ ही रहा है कि ऐसे जगहों पर जहां आसानी के साथ शराब की तस्करी करायी जा सकती है, डिपो और खुदरा दुकानों को खोलने मे कौन कौन लाभान्वित हो रहे है? क्या राजस्व बढ़ाने के नाम पर शांत ग्रामीण अंचलो मे युवा पीढ़ी को अपराध के दलदल मे झोका जा सकता है? इसकी जांच होनी चाहिये कि ज़ब ये डिपो नहीं खुले थे तो बलिया से (11 डिपो है ) तस्करी के लिये बैरिया के रास्ते भेजी जाने वाली कितनी शराब कोतवाली, दुबहड़, हल्दी बैरिया व दोकटी थानो द्वारा पकड़ी जाती थीं और अब कितनी? सूत्रों की माने तो फ्रूटी से लेकर फुल बोतल की लगभग 40 हजार पेटियां अकेले बैरिया सर्किल मे बिक रही है। यहां प्रति पेटी वसूली होती है।अगर यहां भी नरही जैसी छापेमारी हो जाय तो एक बड़ा खुलासा हो जायेगा। यह लिखने का कारण भी है कि इस क्षेत्र से सटे हुए बिहार सीमा मे बिहार पुलिस लगातार बलिया से भेजी गयी शराब की खेप पकड़ रही है।