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शिक्षा विभाग के रहमों करम पर रसड़ा के गली - गुच्चियों में संचालित हैं अवैध कोचिंग सेंटर्स

 





 कुकुरमुत्ता की तरह भवानी गली,अस्पताल के पीछे अवैध कोचिंग संस्था 

रिपोर्ट अखिलेश सैनी

बलिया।। तमाम प्रयासों के बाद भी कोचिग सेंटरों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। रसड़ा ग्रामीण इलाकों समेत रसड़ा कस्बा बाजार में दर्जनों कोचिंग बगैर रजिस्ट्रेशन के संचालित हैं। विभागीय उदासीनता के चलते बच्चों सहित अभिभावकों को कठिनाई से गुजरना पड़ रहा है। शासन ने बिना रजिस्ट्रेशन के कोचिंग सेंटरों के संचालन पर रोक लगा रखा है। बावजूद इसके विभागीय कार्रवाई करने के नाम पर कोरमपूर्ति की गई। जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। विभिन्न स्कूल-कालेजों में शिक्षण कार्य करने वाले अध्यापक कोचिंग संस्था खोल रखे हैं। छात्रों का कहना है कि शिक्षक कोचिंग संस्था में पढ़ने के लिए बाध्य करते हैं। आरोप है कि पढ़ाई नहीं करने की दशा में प्रायोगिक, अर्धवार्षिक सहित वार्षिक परीक्षा में फेल कर दिए जाने की धमकी दी जाती है। इसके चलते छात्र कोचिंग में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। कोचिग खोले शिक्षकों द्वारा विद्यालय की पढ़ाई में लापरवाही बरती जाती है।आपको बताते चलें कि  उत्तर प्रदेश कोचिंग विनियमन कानून पूर्णतया निरर्थक साबित हो रहा है। न पंजीकरण ना कोई मानक। धड़ल्ले से एक छोटी कोठरी में कोचिंग संचालित की जा रही है। अनुदानित विद्यालयों के शिक्षक भी कोचिंग चलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। इसे विद्यालय से बेहतर व्यवसाय माना जाने लगा है।

अनुदानित एवं शासकीय व राजकीय विद्यालयों के शिक्षकों को कोचिंग करने से रोकने के लिए इसमें सजा का प्रावधान किया गया। इसके संचालन हेतु पंजीकरण, हवादार कक्ष एवं सभी विषयों के योग्य शिक्षकों की नियुक्ति सहित तमाम अनिवार्य शर्ते जोड़ी गई। 

गौरतलब हो कि रसड़ा नगर के मिशन रोड, अस्पताल रोड, भवानी गली, मऊ रोड, हॉस्पिटल के पीछे (कोचिंगों का मेला) सहित रसड़ा के विभिन्न इलाकों में कुकुरमुत्ता की भांति अवैध रूप से कोचिंग संस्था संचालित हो रही है।  यह संस्थान कहीं दुकान तो कहीं आवास में ही संचालित है।

सूत्रों की मानें तो रसड़ा में हाईस्कूल, इंटरमीडिएट से लेकर बीकाम, बीएससी, मेडिकल, इंजीनियरिंग, सीए, बैंक, रेलवे, एसएससी, एनडीए, एयरफोर्स  जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाली भी कोचिंग संस्थाएं मौजूद हैं। ज्यादातर संस्थाओं में फायर सेफ्टी नियमों का पालन नहीं हो रहा है। कई बार हादसे भी हो चुके हैं। इसके बाद भी जिम्मेदार अनजान हैं। कोचिंग सेंटर की जांच को अग्निशमन विभाग व क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी कार्यालय के पास फुर्सत नहीं है। लिहाजा गली-मुहल्लों में ऐसी कोचिंग चल रही हैं। जिनका डीआईओएस कार्यालय में पंजीकरण  तक् नहीं है। प्रबुद्ध लोगों का कहना है कि विभाग को चाहिए कि ऐसे कोचिंग संस्थाओं पर तत्काल कार्यवाही करे ताकि भविष्य में कोई अप्रिय घटना न घटित हो सके ।