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स्वास्थ्य विभाग मे शासनादेशों के खिलाफ एक ही जगह जमे चिकित्सकों, अन्य कर्मियों पर कब होगी कार्यवाही, दुबहड़ मे 11 लाख के किराया घोटाला करने वालों पर कब होगी कार्यवाही?

 


मधुसूदन सिंह 

बलिया।।  हिंदी के मुर्धन्य विद्वान पंडित आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने पचास के दशक मे ठीक ही कहा था कि बलिया जिला नहीं देश है। बलिया के स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदेश व केंद्र सरकार के शासनादेशों की व्याख्या अपने हिसाब से करने के कारण यह उक्ति सटीक बैठ रही है। यहां शासनादेश का कोई मतलब नहीं है, घोटाला करने से डर ही नहीं है क्योंकि कोई कार्यवाही होती ही नहीं है। सबसे निचले स्तर के कर्मचारियों को छोड़कर जिनका स्थानांतरण होने के लिये शासन स्तर से एक सुस्पष्ट गाइड लाइन है, फिर भी यहां उसका पालन नहीं होता है।

सूच्य हो कि किसी भी संवर्ग मे (चाहे चिकित्सक हो, फार्मासिस्ट हो, ए एन एम हो, बाबू हो आदि ) एक पटल का कार्य देखने के लिये अधिकतम तीन वर्ष निर्धारित है। लेकिन बलिया मे यह नियम लागू ही नहीं होता है क्योंकि बलिया का स्वास्थ्य विभाग अपने आपको यूपी के कानून से नहीं बल्कि बलिया के अलिखित कानून से चलता है। यहां जितना दबंग उतने दिनों तक एक ही जगह पर जमा रहेगा, किसी अधिकारी की मजाल है जो हटा दे। अगर किसी ने हटा दिया तो छुट्टी पर चले जायेंगे और कुछ दिन बाद पुनः पुरानी जगह पर कार्य करते हुए दिख जायेंगे। कई कर्मी तो ऐसे है जिनका जॉइनिंग के बाद से कभी तबादला ( 15-18 वर्ष ) हुआ ही नहीं है। कई बाबू ऐसे है जो पिछले लगभग 8 वर्षो से मलाई एक ही पटल पर काट रहे है, कोई पूंछने वाला नहीं है। बता दे शासन प्रत्येक वर्ष जिलों से ऐसे प्रत्येक चिकित्सक, व अन्य कार्मिको की सूची मानव सम्पदा के माध्यम से मांगता है जो स्थानांतरण नीति के अंतर्गत आते है। लेकिन पता नहीं बलिया से कौन सूची भेजता है, जिसमे शासनादेश के नियम मे आने वाले कार्मिको का नाम ही लखनऊ नहीं जाता है जिससे ऐसे लोगों का तबादला होता ही नहीं है।



पिछले साल मार्च मे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दुबहड़ मे फर्जी तरीके से किराये के नाम पर 11 लाख रूपये का घोटाला होने का प्रकरण जांच मे पकड़ा गया। तत्कालीन सीएमओ ने जांच टीम गठित कराकर जांच करायी तो घटना सही पायी गयी। जबतक वें कार्यवाही करते तबतक उनका तबादला हो गया। वर्तमान सीएमओ साहब ने इस कांड मे संलिप्त लोगों का तबादला कर दिया। लेकिन अभी तक सरकारी खजाने से गबन किया गया 11 लाख रुपया जमा नहीं कराया गया है। होना यह चाहिये था कि संलिप्त सभी लोगों के खिलाफ दण्डनात्मक कार्यवाही होती, लेकिन नहीं हुई है।

पिछले दिनों जिलाधिकारी बलिया ने स्वास्थ्य विभाग मे व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर करने के लिये सभी चिकित्सकों व बाबुओ की वर्तमान कार्यस्थल पर तैनाती का वर्ष की मांग की थीं। लेकिन जिलाधिकारी ने एएनएम, बीपीएम, बीसीपीएम आदि के संबंध मे सूचना नहीं मांगी थीं जिसके कारण इन संवर्गों मे दशकों से एक ही जगह जमे लोगों की सूचना इनके पास नहीं भेजी गयी है जबकि भ्रष्टाचार इनके स्तर से खूब होता है। देखना यह है कि जिलाधिकारी स्वास्थ्य विभाग के मट्ठाधिशों के खिलाफ कार्यवाही करते है कि नहीं?