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सुरक्षा आपकी, संकल्प हमारा, का यूपी पुलिस का नारा वर्तमान थानाध्यक्ष सिकंदरपुर के कार्यकाल मे बेमानी, जनता का उठता पुलिस से भरोसा



बलिया। सुरक्षा आपकी, संकल्प हमारा ये वो नारा है, जिस पर यूपी पुलिस काम करती है। लेकिन सिकंदरपुर पुलिस शायद इससे इत्तेफाक नहीं रखती। यदि ऐसा नहीं होता तो अपहरण और हत्या जैसे संगीन मामलों में शिथिलता नही बरती जाती। पुलिस की लापरवाही से जहां एक परिवार को इकलौता पुत्र खोना पड़ा तो वहीं बीते पांच माह से एक लाचार भाई अपने छोटे भाई की मौत की वजह तलाश रहा है। लेकिन पुलिस जांच का हवाला दे अभी भी पीड़ित को गुमराह कर रही है। सरयू किनारे मिले नर कंकाल (नवीन का) ने पांच माह पूर्व हुई घटना की याद ताजा कर दी है। लोगाबाग उस मामले में अब तक कार्रवाई न होने को लेकर तरह तरह की चर्चाएं कर रहे हैं।।


बीते 10 अप्रैल को डोमनपुरा (पांडेय टोली) निवासी सुजीत पांडेय उर्फ मोटू (16) पुत्र त्रिभुवन पाण्डेय उर्फ गाटर का शव संदिग्ध परिस्थितियों में घर में मिला था। जिसे लोग आज भी हत्या मानते हैं। मृतक के बड़े भाई सुनील पांडेय ने 12 अप्रैल को पुलिस को नामजद तहरीर देते हुए कार्रवाई की मांग भी की थी। तहरीर के आधार पर निष्पक्ष जांच व कार्रवाई का भरोसा देने वाली पुलिस समय के साथ अपना वादा भूल गई। आरोप तो यह भी लग रहा है कि पुलिस ने पीड़ित सुनील की फाइल बंद होने की बात कर पल्ला झाड़ रही है। पुलिस की इस अबूझ कार्रवाई से सुजीत की मौत आज भी पहेली बनी हुई है।


भाटी निवासी नवीन कुमार राम के गुमशुदगी/अपहरण मामले को भी पुलिस नजर अंदाज करती रही। एक लाचार बाप न्याय की तलाश में महीनों थाने का चक्कर लगाता रहा और पुलिस आश्वासन का घूंट पिलाती रही। अंततः वही हुआ जिसका परिजनों को भय था।  लोगों का कहना है कि यह राज भी सुजीत पांडेय केस की तरह फाइलों में दब जाता यदि पीड़ित पिता ने सम्पूर्ण समाधान दिवस पर एसपी से मिलने की जिद्द न की होती। पीड़ित राम रतन राम की माने तो खरीद दियारे के चरवाहों और ग्रामीणों ने अज्ञात शव मिलने की सूचना पुलिस को 7 जुलाई को ही दे दी थी। बावजूद थानेदार मामले में चुप्पी साधे रहे। उस शव का न तो शिनाख्त कराया और न ही पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। पुलिस का यह कार्य व्यवहार नवीन की हत्या से संबंधित साक्ष्य मिटाने की एक सुनियोजित चाल थी। वहीं मृतक नवीन के एक रिश्तेदार का कहना था कि पुलिस अभी भी मामले में लीपापोती करने का कुचक्र रच रही है। करीब  एक माह पूर्व घटना स्थल पर पहुंचे हल्का सिपाहियों को भी बचाने का प्रयास किया जा रहा है। भले ही प्रदेश सरकार निष्पक्ष और न्यायपूर्ण समाधान का भरोसा दे, लेकिन सिकंदरपुर मे ऐसे अधिकारियों के रहते यह संभव नहीं है।