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बलिया बलिदान दिवस पर विशेष :'हिंदुस्तान हुआ आज़ाद और बलिया बागी कहलाया'




 

बलिया।। बलिया बलिदान दिवस पर बलिया के नवोदित पत्रकार की कविता -------

19 अगस्त का एक दिन था,

लेकिन सैकड़ों अंधेरी रातें थी

अंग्रेजी हुकूमत की वेदना,

जिन्हें हर रोज़ सताती थी।


आज़ाद हिंद की एक चिंगारी निकली 

 बलिया के गलियारों से,

स्वतंत्रता की आग को और धधकाया 

कुछ देशभक्ति नारों से।


वो हर गली वो हर मोहल्ला

कुर्बानी से कराह रही थी,

चितु पांडे के नेतृत्व में

आज़ादी-आज़ादी गा रही थी।





वो शस्त्र दिखा वो अस्त्र दिखा

उन बागियों के हाथों में,

शहीदों की कुर्बानी का रोष था

उन क्रांतिकारी आंखों में।


मालगाड़ी लूटी, स्टेशन फूंका

फूंका उस अभिमान को

आज़ादी का एक पैगाम दिया

शेर-ए-हिंदुस्तान को।


गुलामी से भरी क्रांतिकारी विद्रोह

कुछ 19 अगस्त को शांत हुआ

जब बागियों की अगुवाई में

ये बलिया आज़ाद हुआ।



भारत को मिली ये पहली आज़ादी 

आज़ाद हिंदुस्तान की शान बनी

ददरी मेले की संस्कृति से सुसज्जित

भृगु नगरी की पहचान बनी।


1942 की इस आज़ादी ने

1947 का वो बिगुल बजाया

जब हिंदुस्तान हुआ आज़ाद 

और बलिया बागी कहलाया।

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लेखक- सर्वजीत जायसवाल (नवोदित पत्रकार )