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गीत-संग्रह "जहाँ ठौर मिले" का हुआ विमोचन :योगेन्द्र कुमार मिश्र की कविता है सच की शिनाख्त -रविनन्दन सिंह



प्रयागराज।।अपने माता-पिता स्मृतिशेष कुमोदनी देवी मिश्र एवं स्मृतिशेष कवि-हृदय ओंकार नाथ मिश्र को समर्पित डा•योगेन्द्र कुमार मिश्र 'विश्वबन्धु' के प्रथम गीत-संग्रह "जहाँ ठौर मिले" का हिन्दुस्तानी एकेडेमी के गाँधी सभागार में कवि-लेखक-समालोचक अजामिल व्यास की अध्यक्षता एवं कवि-लेखक-समालोचक रविनन्दन सिंह के मुख्य आतिथ्य में दीप प्रज्ज्वलन पश्चात विमोचन हुआ।इस अवसर पर रविनंदन सिंह ने कहा कि—कवि योगेनद्र कुमार मिश्र ’विश्वबंधु’ की कविता उनकी मनःस्थितियों का समुच्चय है,जीवन की सहज अभिव्यक्ति है,समाज की सच्चाइयों का स्पष्ट प्रतिबिंब है और अपने समय के साथ क्रिया–प्रतिक्रिया का निडर बयान है। उनकी कविता अपने आसपास बिखरी हुई विसंगतियों की सम्यक आलोचना है।कविता उनके लिए कोई उपभोग की वस्तु नहीं है, सच की शिनाख्त है। 

कार्यक्रम के आरंभ में अतिथिगण को अंग-वस्त्र और पुष्पगुच्छ प्रदान कर स्वागत-सम्मान किया गया।पुस्तक विमोचन के उपरांत पुस्तक-प्रकाशक "साहित्यांजलि प्रकाशन" प्रयागराज के संपादक डा• भगवान प्रसाद उपाध्याय ने कहा कि गद्य में निष्णात रचनाकार को ही सफल काव्य प्रणेता कहा जाता है इसलिए सफल कहानीकार "शब्द-संसार" कहानी-संग्रह के लेखक विश्वबन्धुजी इस मानक पर खरे उतरते हैं।उनका एक मुक्तक-संग्रह "उद्गार देह" तथा एक लघुकथा-संग्रह "आस-पास" भी प्रकाशन की प्रक्रिया में है,वो भी 21 सितम्बर को इसी सभागार में विमोचित होकर आपके हाथों में पहुंचे जायेगा।

प्रतिष्ठित गायक मनोज गुप्ता ने सरस्वती-वंदना के पश्चात पुस्तक के शीर्षक गीत "जहाँ ठौर मिले" की सुन्दर व प्रभावशाली प्रस्तुति दी जिससे सभागार तालियों से गूँज उठा।तबले पर संगत भीम ने की।किसी पुस्तक विमोचन की यह भी एक अनूठी मिसाल है।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में अजामिलजी ने कहा कि साहित्य की लगभग सभी विधाओं पर अपनी कलम चलाने वाले योगेंद्र कुमार मिश्र "विश्वबन्धु" एक सुपरिचित कवि और साहित्यकार हैं।उन्होंने अपनी कविताओं में नई पुरानी काव्य परंपराओं का सम्मान करते हुए जहां संपूर्ण जीव जगत की चिंता की है,वहीं मनुष्य और मनुष्यता को बचाने-सहजने और उसे संवारने का उद्देश्य उनकी कविता का मुख्य धर्म है। योगेंद्र जी की कविता में गीतात्मकता मुख्य आकर्षण है जो उनके गीतों को गाने गुनगुनाने के लिए हमें प्रेरित करता है।



योगेन्द्र कुमार मिश्र ने कार्यक्रम के अतिथिगण का स्वागत एवं आभार प्रकट किया।।कार्यक्रम में रेखा मिश्रा,इन्द्रकांत मिश्र,प्रेमलता मिश्रा,शम्भूनाथ श्रीवास्तव,सुशील राय,प्रीता बाजपेई,डा•रामलखन चौरसिया,डा•अजय मालवीय,डा•ऊषा मिश्रा,राकेश मालवीय,हरिश्चन्द्र शुक्ला,उपेन्द्र कुमार पांडेय 'मनमौजी,एचएन पाण्डेय'अनजान',डा•विन्ध्यवासिनी शुक्ल,आलोक मालवीय,अजय मिश्र,सरिता मिश्र,अदाति मिश्र,आरवी,इति गौतम?नेहा गौतम,मयंक गौतम,आलोक मालवीय,वीरेन्द्र तिवारी,सुनील धवन,जमील अहमद,उदय चन्द परदेसी,विवेक सत्यांशु,हरिश्चन्द्र शुक्ला,जगदीश कौर,जया मोहन श्रीवास्तव सुमन गुप्त,उपेन्द्र पाण्डेय,एच एन पाण्डेय,,शशि गुप्त,निरंकार त्रिपाठी,धनेन्द्र शर्मा,आदित्य तिवारी,रोहित कुशवाह,शाहिद इलाहाबादी,आदि अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।कार्यक्रम का गरिमापूर्ण संचालन प्रो•रवि कुमार मिश्र ने किया।