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आजमगढ़ से जांच करने बलिया आयी टीम , स्कैनर ख़राब, वाह रें आबकारी विभाग

 


मधुसूदन सिंह 

बलिया।। आजमगढ़ के उच्चाधिकारीयों के आदेश पर बलिया पहुंची आबकारी विभाग की टीम का स्कैनर ही धोखा दे गया और जिस काम के लिये आये थे, वह काम कर ही नही पाये। अब तो टीम के सदस्य ही बता पायेंगे कि इनका स्कैनर वास्तव मे ख़राब हुआ है या सिर्फ मीडिया से कहने के लिये?

बता दे मालगोदाम रोड पर एक बियर की दुकान संचालित है। इसके दुकान को लगभग 4 माह पहले एक्सपायरी बियर पाये जाने के कारण पहले सील की गयी थीं, बाद मे निरस्त कर दी गयी। एक्सपायरी बियर / शराब के मामले मे यह शासनादेश है कि जब्त किये गये माल को जिला आबकारी अधिकारी अपने कब्जे मे लेकर उच्चाधिकारीयों से आदेश लेकर नष्ट कराते है। लेकिन उपरोक्त मामले मे ऐसा नहीं हुआ। जिस अनुज्ञापी का माल जब्त हुआ और लाइसेंस निरस्त हुआ, उसके जब्त माल को बिना अपने कब्जे मे लिये और इन्वेंटरी बनाये, बिना उच्चाधिकारियो से आदेश लिये, जिला आबकारी अधिकारी ने अपने आदेश से ही सील तोड़कर दूसरे नये अनुज्ञापियों को इसी दुकान मे बीयर बेचने की अनुमति दे दी। पहले इस दुकान को 14-14 दिनों के लिये तीन बार के लिये अस्थायी लाइसेंस दिया गया और बाद मे टेंडर / लॉटरी के माध्यम से नये अनुज्ञापी को आवंटित कर दी गयी। सूत्रों की माने तो आज इस दुकान मे जिला आबकारी अधिकारी द्वारा तथाकथित रूप से सील किये गये एक्सपायरी बीयर होने की सूचना पर ही टीम ने छापेमारी की थीं।



सूत्रों की माने तो पुराना माल(लगभग 80 पेटी )मे से धीरे धीरे अधिकतर बेच दिया गया है और मात्र लगभग 14 पेटी के करीब बचा हुआ बताया जा रहा है। आज अगर टीम का स्कैनर दग़ा नहीं दिया होता या टीम के सदस्यों की इच्छा शक्ति होती तो आज जिला आबकारी अधिकारी का एक्सपायरी एक्सपायरी का खेल खुल जाता। टीम को चाहिये था कि अगर उनका स्कैनर काम नहीं कर रहा था तो स्थानीय अधिकारियो के स्कैनर को मांगकर जांच करते लेकिन ज़ब जांच करनी होती तब तो ऐसा करते।




अब जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक चाहे तो अपने स्तर से इस खेल का पर्दाफाश अपनी टीम से कराकर कर सकते है। क्योंकि जिला आबकारी अधिकारी का यही खेल है कि अनुज्ञापियों पर दबाव बनाकर गलत कराये और ज़ब अपनी गर्दन फंसे तो फंदा अनुज्ञापी के गले मे डालकर उसे फांसी पर लटका दे। नये अनुज्ञापी का भी यही दोष हो सकता है कि पुराने अनुज्ञापी का माल अधिकारियो के मौखिक कहने पर अपनी दुकान मे रखें हो सकते है। सूच्य हो कि यही जिला आबकारी अधिकारी और इनकी टीम है, जिन्होंने एक थोक व्यवसायी छितेश्वर जायसवाल को साजिशन फंसा कर जेल भेजवा दिया। आज ज़ब लखनऊ से जांच चल रही है तो दो आबकारी निरीक्षक अभी तक संलिप्त पाये गये है। एक आबकारी निरीक्षक की गिरफ्तारी से बचने की अग्रिम जमानत की अपील निचले कोर्ट से ख़ारिज भी हो चुकी है। जल्द ही इन लोगों की गिरफ्तारी होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

जिलाधिकारी महोदय को जिला आबकारी अधिकारी से 4 माह पूर्व जब्त की गयी एक्सपायरी बीयर की डिटेल और जब्त की गयी सारी पेटियां कहां है,तत्काल लिखित रूप मे मांगनी चाहिये। जिससे एक्सपायरी एक्सपायरी के खेल को रोका जा सकें और एक्सपायरी के नाम पर फिर से नये अनुज्ञापी का लाइसेंस निरस्त होने से बचाया जा सके।