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40 वर्ष के बाद नौकरी व 25 वर्ष की सेवा पर यूपीएस पेंशन एक धोखा, कर्मचारियों के जीवन भर का जीपीएफ लूटने की सरकारी साजिश है यूपीएस :जनकुआक्टा

 







शिक्षक दिवस के दिन सतीश चंद्र कॉलेज पर अध्यापकों का जोरदार प्रदर्शन


बलिया।। महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के राष्ट्रीय संगठन एआईफुक्टो व उत्तरप्रदेश के संगठन फुपुक्टा के आह्वान पर जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय सम्बद्ध महाविद्यालयीय शिक्षक एसोसिएशन (जनकुआक्टा) के अध्यक्ष डॉ अखिलेश कुमार राय एवं महामंत्री डॉ अवनीश चन्द पाण्डेय ने शिक्षकों की 24 सूत्रीय मागों के संबंध में सभी महाविद्यालयों में काली पट्टी बाँधकर विरोध प्रदर्शन कराया जिसमें महाविद्यालयों के शिक्षकों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। शिक्षकों की प्रमुख मांगों में पुरानी पेन्शन की बहाली, आठवें वेतन आयोग के गठन तथा केन्द्रीय विश्वविद्यालयों व उत्तर प्रदेश के परिधि के चारों तरफ विद्यमान प्रदेशों के विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों की भांति शिक्षकों की सेवा यूजीसी से आच्छादित होने के कारण 65 वर्ष करने और एनपीएस व यूपीएस को पूर्णतया खारिज करते हुए पुरानी पेंशन की मांग थी। शिक्षकों ने पुरानी पेंशन की मांग करते हुए काली पट्टी बाँध कर विरोध प्रदर्शन किया तथा कहा कि शिक्षकों को एनपीएस में जहाँ पेंशन से वंचित करने का उपक्रम किया गया था वहीं यूपीएस शिक्षकों व कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई के काटे गए 10 प्रतिशत कटौती को पूरा पूरा लूट लेने की नयी कवायद है। 40 वर्ष तक युवाओं को बेरोजगार रखने वाली सरकार 25 वर्ष की सेवा पर पेंशन अंतिम वर्ष के औसत वेतन के 50 प्रतिशत पेंशन निर्धारित करने का छलावा भरा यूपीएस का झुनझुना शिक्षकों व कर्मचारियों को देकर इसके माध्यम से पूरी की पूरी कटौती हड़पने की बेईमान कोशिश कर रही है। 


डॉ अवनीश चन्द पाण्डेय, महामंत्री, जनकुआक्टा ने कहा कि किसी भी शिक्षक और कर्मचारी के सेवानिवृत्ति के समय जीवन के दो हिस्से की चुनौतियां होती हैं। उसके सेवा निवृत्ति के समय बेरोजगार बेटे बेटियों की पढ़ाई और शादी, जो जीपीएफ के सहारे पूरी की जाती है और दूसरा अपना और उसकी पत्नी का जीवन, दवा, भोजन इत्यादि, जो पेंशन के सहारे पूरी की जाती है। एनपीएस में पेंशन नहीं थी और यूपीएस पूरी कटौती डकार जाने के कारण जीपीएफ विहीन पेंशन योजना है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि सरकार हमारे जीवन के किसी न किसी पहलू को अंधकारमय बनाने की योजना ही एनपीएस व यूपीएस के रूप में क्यों लेकर आती है? मायावती सरकार में टेट की परीक्षा देने वाले अखिलेश सरकार में मुकदमा लड़कर,योगी सरकार के प्रथम काल के अंतिम वर्षों में नौकरी पाते हैं और 55 वर्ष के शिक्षामित्र शिक्षक पद से पदच्युत होकर हर्ट अटैक और आत्महत्या के शिकार बनते हैं। माध्यमिक विद्यालयों, महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों के बहुतायत शिक्षक 40 वर्ष की अवस्था या उसके बाद बेरोजगारी का दंश झेलते झेलते नौकरी पाते हैं । 25 वर्ष की उम्र में टेट पास करने वाला विद्यार्थी 39 वर्ष में नौकरी पाता है। जब अधिकांश शिक्षकों व कर्मचारियों की कुल सेवा ही 25 वर्ष से कम है तो 25 वर्ष की सेवा पूरी करने पर 50 प्रतिशत पेंशन का औचित्य क्या है? 

यूपीएस लूट में शामिल उच्च अधिकारियों को लाभ पहुचाने व पुरानी पेंशन का लुत्फ़ उठा रहे भ्रष्ट नेताओं के ठगबंधन का नया उपक्रम है जिनके पास लूट का इतना धन जमा है कि उन्हें जीपीएफ की जरूरत ही नहीं है। इससे अधिकारी और सरकार के नेताओं के गठजोड़ से शिक्षकों व कर्मचारियों के आंदोलन को दबाने में सहायता मिलेगी। किन्तु शिक्षकों व कर्मचारियों को यह यूपीएस स्वीकार नहीं है। और सरकार यदि यूपीएस वापस लेकर पुरानी पेंशन बहाल नहीं करती है तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। सेना के जवान 20 वर्ष ही नौकरी करते हैं, उनके लिए 25 वर्ष की सेवा के बाद अंतिम वेतन के आधी पेंशन का क्या औचित्य है? 3 वर्ष की सेवा वाले अग्नि वीर कौन पेंशन प्राप्त करेंगे? अभी तो ये कर्मचारियों व शिक्षकों तथा सेना के जवानों के लिए भाजपा या मोदी सरकार की यूपीएस रूपी पेंशन योजना के ऊपरी खतरे हैं जो आम जनता भी समझ रही है कि यह शिक्षकों व कर्मचारियों के जीवन भर की कटौती को एक झटके में लूट लेने का उपक्रम है। 

कहा कि इस यूपीएस रूपी लूट की योजना की आंतरिक बारीकियां और भी हैं। अतः शिक्षक दिवस के अवसर पर हम शिक्षक व कर्मचारी विरोधी यूपीएस पेंशन योजना का विरोध करते हैं और सरकार से इसे वापस लेकर पुरानी पेंशन बहाल करने की गुजारिश करती है। शिक्षकों व कर्मचारियों का तो यहाँ तक कहना है कि सरकार संगठनों को यूपीएस पेंशन के माध्यम से सिर्फ आगामी राज्यों के चुनावों में जीत सुनिश्चित करने के लिए छलावा दे रही है। यदि इस छलावे में न आकर उन्हें आगामी राज्यों के चुनाव में शिकस्त दे दिया जाए तो शायद शिक्षक व कर्मचारियों को सरकार पुरानी पेंशन देने को मजबूर हो जाए। 

इस अवसर पर सुदिष्ट बाबा पी जी कालेज, सुदिष्टिपुरी, बैरिया, बलिया, अमरनाथ मिश्र पी जी कालेज, दुबे छपरा, बलिया, कमला देवी बाजौरिया महाविद्यालय, दुबहड़ ,बलिया, सतीश चन्द्र कालेज, बलिया, श्री मुरली मनोहर टाउन पी जी कालेज, बलिया, कुंअर सिंह पी जी कालेज, बलिया, गुलाब देवी पी जी कालेज, बलिया, मथुरा पी जी कालेज, रसड़ा,बलिया, बजरंग पी जी कालेज, दादर, सिकन्दरपुर, बलिया एवं देवेंद्र पी जी कालेज, बेल्थरा रोड बलिया के सैकड़ों शिक्षक काली पट्टी बाँध कर प्रदर्शन किये जिसमें डॉ विवेकानंद पाण्डेय, डॉ रामचंद्र, डॉ विवेक राय, डॉ संजय मिश्र, डॉ श्याम बिहारी श्रीवास्तव, डॉ उमेश यादव, डॉ शिवेश राय, डॉ विवेक मिश्रा, डॉ अभिषेक अर्ष, डॉ अनिल तिवारी, डॉ राजेश कुमार, डॉ ओमप्रकाश यादव, डॉ अशोक सिंह यादव, डॉ शिवप्रसाद, डॉ सीमा वर्मा डॉ संजय कुमार, डॉ कौशिक, डॉ आशुतोष यादव, डॉ मनीष पाण्डेय, डॉ अंगद सिंह, डॉ दशरथ चौहान, डॉ अजय पाण्डेय, डॉ सूबेदार प्रसाद, डॉ बृजेश सिंह, डॉ जितेंद्र वर्मा, डॉ संतोष गुप्ता, डॉ फूल बदन सिंह, डॉ सच्चिदानंद, डॉ विमल, डॉ उमाकांत यादव, मेजर अशोक यादव, डॉ सच्चिदानंद मिश्र , डॉ आशुतोष मिश्र, डॉ समर जीत सिंह, डॉ चौरसिया, डॉ बब्बन राम आदि शिक्षक मौजूद रहे।