वाह रें जीरो टोलरेंस की नीति : भ्रष्टाचार की जांच के लिये संवेदनहीन अधिकारी 7 साल बाद तब जगे ज़ब शिकायतकर्ता पहुंचा रेंगकर कलेक्ट्रेट, फिर जाने हुआ क्या
नीमच मध्यप्रदेश।। चाहे केंद्र की हो या राज्यों की बीजेपी सरकारें हो, सभी का सबसे बड़ा नारा जीरो टोलरेंस का है। यह कितना कारगर है, समय समय पर इसकी ऐसी तस्वीरें सामने आ जाती है जिससे मन सोचने को मजबूर हो जाता है कि क्या वास्तव मे भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन मिलना सम्भव नहीं है? क्या देश की कोई ऐसी पार्टी नहीं है जो भ्रष्टाचार का समूल नाश कर सकें। मध्यप्रदेश मे कई सालों से सिर्फ बीजेपी की ही सरकार बन रही है। मध्यप्रदेश मे लोकायुक्त भी काफी सक्रिय है। फिर भी अगर पिछले सात सालों से कोई जागरूक इंसान अगर जिला प्रशासन के सभी छोटे बड़े अधिकारियो से लगायत मुख्यमंत्री और लोकायुक्त तक इतनी बार शिकायत करता है कि उसकी बड़ी माला बन गयी है, लेकिन अगर जांच नहीं हुई तो यह कहने मे कोई गुरेज नहीं है कि मध्यप्रदेश मे भ्रष्टाचार की जड़े काफी गहरी हो गयी है।
चिलचिलाती धूप, हाड कंपा देने वाली ठंड या मूसलाधार बारिश में मतदान केंद्र पहुंचकर जो आम इंसान अपने नुमाइंदों को चुनता है. चुनाव के बाद उसी आम इंसान को न्याय के लिए अपने नुमाइंदों के सामने रैंगना पड़ता है।
जी हां, ठीक पढ़ा और सुना आपने आम आदमी को चुनाव के बाद ऐसे ही रैंगना पड़ता है. नीचे दिखाया गया वीडियो इस बात की तस्दीक है. भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच की मांग के हजारों आवेदन और सबूत देने के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो शख्स ने सोई हुई अफसरशाही और सफेदपोश खद्दर धारियों को जगाने के लिए अनोखा तरीका अपनाया.
शिकायतकर्ता आवेदनों और सबूतों की लंबी माला बनाकर और खुद को उन सबूतों में लपेटकर रेंगते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचा. जरा सोचिए कि वह शख्स प्रशासन की अनदेखी से कितना त्रस्त हो गया होगा जिसने भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की गुहार लगाते हुए अपने सिर पर चप्पल रख ली. किसी संवेदनशील व्यक्ति के लिए यह घटना किसी त्रासदी से कम नहीं.
कहां का है यह मामला
शून्य भ्रष्टाचार का नारा देने वाली बीजेपी शासित राज्य मध्यप्रदेश का यह मामला है।नीमच जिले के सिंगोली तहसील में काकरिया तलाई गांव पड़ता है. गांव के निवासी मुकेश प्रजापति लगातार गांव के सरपंच और उसके पति पर तलाई निर्माण और विकास कार्यों के नाम पर करोड़ों रुपए का गबन करने का आरोप लगाते रहे हैं. उनके पास इसके सबूत भी हैं लेकिन अब तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. मुकेश का कहना है कि उन्होंने तथ्यों के साथ लोकायुक्त से भी इसकी शिकायत की, मुख्यमंत्री को भी अवगत कराया लेकिन नीमच प्रशासन से लेकर शासन तक कोई सुनवाई नहीं हुई.
मुकेश ने कहा कि वह पिछले 7 सालों से कलेक्ट्रेट के चक्कर काट रहे हैं. जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने प्रशासन को जगाने के लिए ये तरीका चुना.
कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश
मामला मीडिया में ना उछलता को कलेक्टर शायद अब भी न जागते लेकिन अब वे जाग गए हैं और उन्होंने 3 सदस्यीय जांच कमेटी बनाकर तीन दिन के भीतर शिकायतों की जांच कर रिपोर्ट मांगी है.
एसडीएम ने की फरियादी को मनाने की कोशिश
जब मुकेश प्रजापति ने सिर पर चप्पल रखकर कलेक्ट्रेट के गेट पर विरोध प्रदर्शन किया तो शून्य भ्रष्टाचार का नारा और प्रशासन की धज्जियां उड़ गईं. एसडीएम साहिबा ममता खेडे़ अपनी कुर्सी से उठने को मजबूर हुईं और फरियादी को मनाने की कोशिश की.
क्या बोले अधिकारी
इस मामले में नीमच एसडीएम ममता खेड़े ने कहा- जावद जनपद पंचायत क्षेत्र के एक व्यक्ति विशेष के खिलाफ उन्होंने शिकायत की है। इस बारे में पहले भी जांच की जा चुकी हैं। कलेक्टर साहब ने विधिवत जांच कर उन्हें बताने के निर्देश दिए हैं। जिला पंचायत के अतिरिक्त सीईओ को जांच के लिए कहा गया है।
वहीं नीमच के कलेक्टर हिमांशु चंद्रा ने कहा कि शिकायतों के निराकरण के लिए कमेटी बनाई गई है. समिति 3 दिन में जांच रिपोर्ट देगी. रिपोर्ट के आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी.