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हिंदी दिवस के अवसर पर ओझवलिया मे काव्य पाठ का आयोजन




दुबहड़ (बलिया)।। हिन्दी के शीर्षस्थ साहित्यकार,सांस्कृतिक विचारधारा के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार, निबंधकार व पद्मभूषण से सम्मानित डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी के पैतृक गांव ओझवलिया में शनिवार को हिन्दी दिवस समारोह कार्यक्रम पर काव्यपाठ का आयोजन किया गया ।

इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार श्रीशचंद्र पाठक ने हिन्दी की महत्ता को बताते हुए कहा कि, हिन्द देश के हम है वासी, हिन्दूत्व मेरी पहचान है, राष्ट्र की मेरी भाषा हिन्दी, माता तुल्य महान है। वन्दे मातरम् -2

सरस सरल समृद्धशाली यह मां गंगा सी पावन है,प्रेम सुधा बरसाने वाली मधुरगेय सुहावन है। मानवता का पाठ पढ़ाती, अद्भुत गुणों की खान है । राष्ट्र की मेरी भाषा हिन्दी माता तुल्य महान है। श्रृंगारिक यह बोधगम्य है,नित प्रेम की ज्योति जलाती है,रसछन्द से परिपूर्ण है अन्त: कलह मिटाती है। जन -जन के मन में बसने वाली वीणा वाली की तान है। राष्ट्र की मेरी भाषा हिन्दी माता तुल्य महान है, वन्दे मातरम् - वन्दे मातरम ।



आचार्य हजारी प्रसाद स्मारक समिति के सचिव सुशील कुमार द्विवेदी ने आचार्य जी की उपेक्षा पर व्यथित होकर अपनी मनोभावनाओं को उद्धृत करते हुए मार्मिक शब्दों में कहा कि, युगद्रष्टा कालजयी रचनाकार आचार्यश्री के सम्मान में, प्रिय जनप्रतिनिधि ने आदर्श ग्राम के रूप में गुरुग्राम को गोद लिया। प्रत्येक ग्रामवासी का मनकमल खिल गया, मानों उन्हे जीवन का मनोवांछित फल मिल गया। मुर्ति स्थापना की आस लिये उन्नीस अगस्त आता है,फूल का सुगंध ले विलखता चला जाता है।

शिक्षक सोनू दूबे ने हिन्दी भाषा पर काव्य पाठ कहते हुए कहा कि,देवभाषा संस्कृत से प्रगटी, आर्यावर्त से विस्तार हुआ। वीणापाणि की वीणा से मधुर स्वर का झंकार हुआ। तन सुधारस से सराबोर,छंद अलंकार से सजधज कर अग्रसर हुई मंगलमय पथ पर,सभी भाषाओं से प्यार हुआ । आत्मसात् कर गले लगायी, लक्ष्य बनायी उच्च शिखर । कार्यक्रम का शुभारंभ प्रबुद्ध जनों ने सर्वप्रथम मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित कर कुसुमांजलि अर्पित कर नमन करते हुए किया। 

इस अवसर पर बीडीसी पिंटू राय,विनोद गुप्ता, विक्की गुप्ता,अक्षयवर मिश्रा, गुप्तेश्वर मिश्रा,अक्षय कुमार,पप्पू डाक्टर,रजत विराट, मुन्ना गुप्ता,धर्मेंद्र राय,राज गुप्ता आदि प्रबुद्ध ग्रामीणजन उपस्थित रहे। अध्यक्षता हृदयपुर के प्रधान प्रतिनिधि मोनू पाठक एवं संचालन सुशील कुमार दुबे ने किया।