बलिया के बहुत कम साहित्यकारों के नाम एवं उनकी रचनाओं को जानते पहचानते हैं हम ,यह हमारे लिए दुर्भाग्य की बात : डाॅ० पाठक
डा सुनील कुमार ओझा की रिपोर्ट
बलिया।। हिन्दी दिवस के शुभ अवसर पर हिन्दी प्रचारिणी सभा, बलिया द्वारा टाउन हाल में हर्षोल्लास के साथ हिन्दी दिवस मनाया गया। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में "हिन्दी: दशा एवं दिशा" नामक विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें प्रो० जैनेन्द्र पाण्डेय, प्रो० अजय बिहारी पाठक एवं डॉ० श्रीपति यादव द्वारा सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा, बलिया के पूर्व प्राचार्य एवं जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया के पूर्व शैक्षिक निदेशक डाॅ० गणेश कुमार पाठक रहे। बतौर मुख्य अतिथि डाॅ० गणेश कुमार पाठक ने कहा कि हिन्दी हमारी आन,बान,शान, सम्मान एवं संस्कृति की भाषा है। हम हिन्दी को ही जानते हैं, मानते हैं एवं पहचानते हैं। हमें हिन्दी पर गर्व है। हिन्दी हमारी पहचान है। अब हिन्दी भी रोजगार की भाषा बनती जा रही। आज हिन्दी पूरे विश्व पटल पर छा गयी है।
डाॅ० गणेश पाठक ने कहा कि एक तरफ जहां स्वतंत्रता आन्दोलन में अग्रणी भूमिका निभाने पर बलिया की भारत सहित विश्व में विशेष पहचान बनी, वहीं दूसरी तरफ बलिया में हिन्दी साहित्यकारों की एक लम्बी फेहरिस्त रही है। बलिया के साहित्यकार कवि,कथाकार,उपन्यासकार, नाटककार आदि सभी विधाओं में अपना परचम लहरा कर देश- विदेश में बलिया के नाम एवं गौरव को बढ़ाया है। किंतु हम लोग इनमें से बहुत कम साहित्यकारों के नाम एवं उनकी रचनाओं को जानते पहचानते हैं,जो हमारे लिए दुर्भाग्य की बात है। डाॅ० पाठक ने कहा कि टाउन हाल में एवं हिन्दी प्रचारिणी सभा के हाल में सभी पूर्ववर्ती साहित्यकारों का छायाचित्र लगना चाहिए एवं उनकी रचनाओं का संकलन होना चाहिए। वर्तमान कालीन साहित्यकारों की रचनाओं का भी संकलन होना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दी प्रचारिणी सभा, बलिया के अध्यक्ष डॉ० रघुवंश मणि पाठक ने किया। हिन्दी प्रचारिणी सभा, बलिया द्वारा हिन्दी के विकास में उत्कृष्ट योगदान करने वाले साहित्यकारों एवं कलाकारों को उत्तरीय एवं स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें अनेक कवियों द्वारा काव्य पाठ प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में बंदना गीत और स्वागत गीत के साथ हिंदी पर गीत डा अरविन्द कुमार उपाध्याय द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में डा रघुनाथ उपाध्याय शलभ , फतेह चन्द्र बेचैन उपस्थित रहे । कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी द्वारा किया गया।