अग्रवाल धर्मशाला में मनाया गया कन्या पूजन समारोह : 160 कन्याओ का सेवा भारती द्वारा किया गया पूजन
डा सुनील कुमार ओझा
बलिया।। गुरुवार को सेवा भारती द्वारा आयोजित कन्या पूजन समारोह बड़े ही उल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री अम्बेश जी ने विजयादशमी क्यों मनाई जाती है, इस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह त्योहार रावण और महिषासुर पर विजय के दिन के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि आज हम सभी संकल्प लें कि रावण और महिषासुर मे जो अवगुण थे उसे हम अपने अंदर ना आने दे। उसमें से अगर एक भी अवगुण हमारे अंदर हैं तो हम यह प्रण ले कि उसे हम समाप्त करेंगे। यह समाप्त तभी हो सकता है जब हम सेवा का भाव अपने अंदर जागृत करें। सेवा ही वह शस्त्र है जिससे रावण एवं महिषासुर रूप की राक्षस का अंत किया जा सकता है।
इस अवसर पर सतीश चंद्र कॉलेज की पूर्व प्राचार्या डॉक्टर प्रतिभा त्रिपाठी ने कहा कि विजयदशमी का पर्व सिर्फ रावण के वध और राम की विजय का ही पर्व नहीं है इसके मूल में संघर्ष की जगह सेतु रूपी शांति स्थापित करना ही राम तत्व है। राम जोड़ने की बात करते हैं तोड़ने की नहीं। सत्य प्रेम करुणा राम तत्व है। जिनमें यह तत्व होगा वही वंचित शोषित पीड़ित उपेक्षित चाहे वह केवट हो, सबरी हो अथवा अहिल्या तक पहुँचेगा। कार्यक्रम के अंत में विशिष्ट अतिथि एवं सेवा भारती के प्रान्तीय उपाध्यक्ष प्रोफेसर रामकृष्ण उपाध्याय ने कहा कि जहां कहीं भी सनातनी घटे हैं समाज बटा है और वहाँ-वहाँ देश कटा है,इसलिए हम सक्षम लोग यदि चाहते हैं देश पुनः विश्व गुरु,सोने की चिड़िया, दूध दही का देश हो, पुनः पहले से भी अधिक गौरवशाली हो तो स्वयं अपने समाज के वंचित शोषित, पीड़ित और उपेक्षित सबरी के दर पर जाएं,नर सेवा नारायण सेवा द्वारा समाज को टूटने से बचा, उन्हें जोड़कर समाज और राष्ट्र को सशक्त समृद्ध बनाने का प्रयास करें तभी विजयादशमी त्योहार मनाना सार्थक होगा।
इस अवसर पर 10 गांव के संस्कार के केन्द्रों की वंचित क्षेत्र से आई हुई लगभग 160 कन्याओं को दुर्गा स्वरुप मे सजा कर भजन पूजन और आरती कर उन्हें भोग लगाकर विदा करने के बाद समाज के उपस्थित सम्मानित लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से अजय जी, नीलम जी,राघवेंद्र पांडे, प्रवीण प्रताप सिंह,सुनील पांडे, संतोष तिवारी,रुपेश जी, परमेश्वरन जी, विकास महेश्वरी, डम्पू जी, विवेक राज, वंशराज सहगल एवं अन्य सनातन धर्मावलम्बी उपस्थित थे।