जिलाधिकारी द्वारा नियुक्त नोडल (राजपत्रित अधिकारियों ) अधिकारियों के कार्यों की निगरानी करेंगे नगर पालिका के दो दो सभासद, चेयरमैन ने घोषित की सूची
मधुसूदन सिंह
बलिया।। ऐतिहासिक ददरी मेला को लगाने को लेकर रोज नये नये फरमान आम जनता के बीच मे चर्चा का विषय बन गया है। शनिवार को जिलाधिकारी द्वारा ददरी मेला (पशु मेला नंदी ग्राम व ददरी मेला - मीना बाजार ) को व्यवस्थित व भ्रष्टाचार मुक्त तरीके से लगाने के लिये मेला के आयोजन मे होने वाले विभिन्न कार्यों के लिये राजपत्रित अधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाते हुए अन्य अधिकारियों को सहायक नोडल अधिकारी का दायित्व सौपा गया। बता दे कि इस साल से पहले प्रशासन द्वारा ऐसी व्यवस्था नहीं की जाती थीं और जिला प्रशासन सीधे तौर पर कभी भी मेला के आयोजन मे भागीदार नहीं होता था। क्योंकि ददरी मेला लगाने की जिम्मेदारी नगर पालिका परिषद बलिया की है।
लेकिन इसमें ट्विस्ट सोमवार को तब आया ज़ब नगर पालिका अध्यक्ष संत कुमार उर्फ़ मिठाई लाल ने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए और अनवरत वर्षो से चली आ रही परम्परा व नगर पालिका के कानूनी दायित्वों के तहत सभासद गणों को विभिन्न कार्यों हेतु प्रभारी नियुक्त कर दिया। इसी घोषणा के बाद आम जनता मे चर्चा शुरू हो गयी है कि आखिर मेला लगायेगा कौन? क्या सभासद राजपत्रित अधिकारियों को जो नोडल बनाये गये है, आदेश दे सकते है?
इस संबंध मे ज़ब नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष संत कुमार मिठाई लाल से बलिया एक्सप्रेस ने बात की, तो उनका कहना था कि मेला लगाने का संवैधानिक अधिकार नगर पालिका को ही है। इसी अधिकार के तहत हमने सम्मानित सभासद गणों को विभिन्न कार्यों के कुशल संपादन के लिये प्रभारी नियुक्त किया हूं। यह मेरे द्वारा शुरू की गयी कोई परम्परा नहीं है बल्कि यह ज़ब से ददरी मेला नगर पालिका लगाती है, तब से चली आ रही परम्परा है। ज़ब श्री मिठाई लाल से पूंछा गया कि फिर जिलाधिकारी द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी क्या करेंगे? तो जबाब दिया कि हमारे प्रभारी और जिलाधिकारी द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी मिल कर मेला को सुन्दर व व्यवस्थित तरीके से लगाएंगे। यह भी कहा कि मेरे द्वारा घोषित प्रभारी सभासद गण मेले मे किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार पर नजर रखेंगे और ऐसा पाये जाने पर मुझे रिपोर्ट करेंगे।
आखिर जिलाधिकारी को क्यों सीधे तौर पर आयोजन मे करना पड़ा हस्तक्षेप
आमतौर पर जिला प्रशासन इस वर्ष से पूर्व कभी भी सीधे तौर पर ददरी मेला के आयोजन मे हस्तक्षेप नहीं करता था। इस साल जिलाधिकारी ने इस मेले को राजकीय मेला घोषित कराने के लिये स्वयं पहल करके अपने स्तर से प्रस्ताव शासन को प्रेषित किया है। बता दे कि चाहे बसपा की सरकार हो या सपा की सरकार हो या योगी सरकार का पिछला कार्यकाल हो, सभी मे तत्कालीन नगर पालिका बोर्ड ने ददरी मेला को राजकीय मेला घोषित करने के लिये कई बार प्रस्ताव भेजा था, लेकिन आज तक यह पौराणिक ऐतिहासिक व सांस्कृतिक धरोहर राजकीय मेला के रूप मे अपनी पहचान नहीं बना सका है। देखना है इस बार जिलाधिकारी ने जो प्रयास किया है, वह कितना सफल होता है।
सूत्रों से मिली खबर के अनुसार जिलाधिकारी द्वारा इस बार मेले के आयोजन मे सीधे तौर पर (पहले नगर पालिका के आग्रह पर प्रशासन व्यवस्थाएं करता था ) अधिकारियों को सौपी गयी जिम्मेदारियां यूं ही नहीं है। जिलाधिकारी ने वर्ष 2021,2022 और 2023 मे लगी दुकानों की संख्या और प्रत्येक वर्ष दुकानों का किराये बढ़ाने और तीन साल मे दुकानों की संख्या मे 60 से 70 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के बाद भी राजस्व मे लगभग स्थिरता पाया जाना कारण है। यह चिंता का विषय बना है कि ज़ब 2021 मे दुकानों की संख्या लगभग 375 के करीब थीं और 2023 मे लगभग 575 के करीब पहुंच गयी, तो राजस्व मे बढ़ोत्तरी क्यों नहीं हुई? यह सब देखने के लिये जिलाधिकारी ने सीधे तौर पर अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए नोडल के रूप मे राजपत्रित अधिकारियों की नियुक्ति की है।
पहले जिलाधिकारी द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारियों की सूची देखिये और फिर नगर पालिका अध्यक्ष द्वारा घोषित प्रभारियों की सूची देखिये और निर्णय कीजिये कौन किसकी निगरानी करेगा?
जिलाधिकारी द्वारा जारी की गयी सूची