Breaking News

अमृत के समान है भगवत कथा :इसको सुनने से मनुष्य के जीवन से मिलती है,मुक्ति : नित्यानंद जी

 




रसड़ा (बलिया)।। रसड़ा तहसील ब्लाक क्षेत्र के नीबू कबीर पुर  गांव में चल रहे सात दिवसीय आयोजित  भागवत कथा के पांचवे दिन शुक्रवार को वृन्दावन से पधारे कथावाचक नित्यानंद गिरि ने कहा कि भागवत कथा सुनने(श्रवण) करने से सभी पाप धूल जाते है। साथ ही जीवन मरण से मुक्ति मिलती है।  कहा कि जिस स्थान पर भागवत कथा व भगवान की चर्चा होती है वहां भगवान स्वयं विराजमान रहते है। वह जमीन/ स्थान भगवान की भक्ति उपासना करने वाले के लिए पवित्र हो जाता है। कहा कि भगवत कथा,भगवत जाप से सारें दुखों व विपत्तियों का नाश हो जाता है। संसार में मनुष्य द्वारा अच्छे कर्म करने से,भगवत नाम सुमिरन से, उसपर कृपा बनी रहती है। जिसे भगवत कृपा के बिना कुछ भी संभव नही है मनुष्य को अच्छे कर्म करना चाहिए  जिससे उसका भविष्य अच्छा होता है।






 गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि मनुष्य को अच्छे कर्म व सत्कर्म  करने से ही से उसके सभी कार्य होते है।क्योंकि कर्म प्रधान है कर्म के बिना कुछ संभव नही होता। (मानव) मनुष्य को अच्छे सत्कर्म करने से अच्छा  फल मिलता है। गलती व बुरे कर्म करने वाले को बूरा होता है बिपति परेशानिया आती रहती है  बूरा फल मिलता है जिसे अच्छा कर्म करना मानव का परम कर्तव्य है और समाज में सभी को अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित करना चाहिए जिससे वे अच्छी कर्मो के प्रति  आकृष्ट हो।  कहा कि मनुष्य के लिए  एक मार्ग दमन का है तो दूसरा मार्ग कल्याण  उदारीकरण का है,दोनो मार्ग खुला है, जो मनुष्य जिसको अपनाता है वैसा ही उसका नियत विचार उसका कर्म आचरण हो जाता हैं। दोनो ही मार्गो में अधोगामी वृतिया निषेध है।जिसे गोकर्ण कथा में कहा  और उसके भाई गलत व दुराचारी होते हुए भाई धुधकारी ने ध्यान से सुना (मनोनयन से सुना )उसको मोक्ष प्राप्त हो गया। भगवत कथा की महत्ता बताते हुए कहाकि भगवत  कथा एक ऐसा अमृत है जिसको जितना  पान किया जाय उतना ही आत्मा को तृप्ति  मिलती है। जिसे समाज  के लोगो को जीवन में अपने लिये थोड़ा समय निकाल कर भगवान का स्मरण भगवत कथा श्रवण सुनना, कथा का आनन्द लेना चाहिए,जिसे देश समाज का भला हो। इस अवसर  पर आस पास गांवो के लोग,  मुड़ेरा, सरदासपुर, नगहर, बस्ती, रोहना, दर्जनों गांव के श्रद्धालु कथा रसपान करते हुए कथा का भजन संगीत का प्रसाद ग्रहण करते हुए  आनंद लिया और पुण्य का भागी बने।