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रामलीला का दूसरा दिन : रावण जन्म व अत्याचार का सजीव मंचन, राधा कृष्ण, शिव पार्वती की झांकी का भी दर्शकों ने उठाया आनंद

 







 

संतोष द्विवेदी 

नगरा, बलिया। सार्वजानिक रामलीला समिति के तत्वावधान में जनता इंटर कॉलेज के प्रांगण में चल रही रामलीला के दुसरे दिन शुक्रवार को लंकापति रावण का जन्म, ब्रम्हा से वरदान, रावण अत्याचार की लीला का मंचन किया गया। इस मंचन के साथ ही रावण के बाल्यकाल से लेकर वरदान मांगने यथा अत्याचार तक के कार्यक्रम प्रस्तूत किया गया। बीच बीच में राधा कृष्ण, शिव पार्वती की झांकी का दर्शकों ने आनंद लिया।

               लीला के अनुसार  रावण ऋषि विश्वश्रवा की दूसरी पत्नी कैकसी के गर्भ से पैदा हुआ था। धन के देवता कुबेर उसके सौतेले भाई हैं। उसका भाई कुंभकर्ण भी दशानन के पथ पर चलकर राक्षसी कृत्यों में लिप्त रहता था। जबकि विभीषण शुरूआत से ही इन दोनों से अलग रहकर पले-बढ़े थे।इसके बाद रावण, कुंभकरण और विभीषण तप करने लगे। इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी प्रकट हुए। ब्रह्मा जी ने तीनों भाइयों को अपनी इच्छानुसार वरदान मांगने को कहा। रावण ने वर मांगा कि वह त्रैलोक्य विजेता और बलशाली हो जाए।कुंभकरण ने छह माह की निद्रा और विभीषण ने प्रभु चरणों में जीवन पर्यंत आसरा मांगा। वरदान मिलते ही रावण देवी-देवताओं और ऋषि मुनियों पर अत्याचार करने लगा। इससे पुर्व लीला में दिखाया गया कि अयोध्या के राजा मनु महाराज अपने पुत्र उत्तानपाद को राजपाट सौप कर पत्नी सतरूपा के साथ वन में तपस्या करने चले गए और घोर तप में लीन हो गए। उनकी तपस्या से भगवान विष्णु प्रसन्न होकर वर मांगने को कहा। मनु सतरूपा ने भगवान से पुत्र के रुप में जन्म लेने का वरदान मांगा, जिसपर भगवान विष्णु ने त्रेता युग में उनके पुत्र के रुप में जन्म लेने का वर दिया। लीला का शुभारम्भ भारतीय स्टेट बैंक के शाखा प्रबंधक दीपक सिंह एवं बाल रोग विशेषज्ञ डा अमित कुमार राय व देव भुषण पांडेय ने भगवान की आरती पूजन कर किया। पुर्व प्रमुख निर्भय प्रकाश, हरेराम गुप्ता,राजेश कुमार गुप्ता, रामायण ठाकर, सुनील गुप्ता, गणपति गोड,डॉ शशि प्रकाश कुशवाहा, जय प्रकाश जायसवाल,अनिल गुप्ता,दिव्यांशु जयसवाल, अमन कसेरा, राहुल ठाकुर, राजू चौहान, मन्नू मद्धेशिया, क्रांति यादव, शैलेंद्र कुमार सिंह, अनीस अहमद आदि उपस्थित रहें। सुरक्षा की दृष्टि से थाने के प्रभारी निरीक्षक हरिशंकर सिंह  चक्रमण करते रहें।