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ददरी मेला 2024 :दुकानों को लगाने मे अगर किया गया यह काम, तो कुल आमदनी हो जायेगी दो करोड़ पार

 



मधुसूदन सिंह 

बलिया।। ऐतिहासिक ददरी मेला को भ्रष्टाचार मुक्त करते हुए मेला से ऐतिहासिक राजस्व प्राप्त करने की जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार की मुहिम धीरे धीरे परवान चढ़ती जा रही है। इस मुहिम के चलते पहले ही चरण मे राजस्व प्राप्ति एक करोड़ पार कर गयी। अब दूसरे चरण की बारी है। इस चरण मे पूरे मेला मे लगने वाली दुकानों से राजस्व वसूली की नीति बन रही है।अगर जिला प्रशासन झूला चरखी की तरह ही खुली बोली से कुछ क्षेत्रों की दुकानों का आवंटन करता है तो इस साल मेले से 2 करोड़ से ज्यादे राजस्व वसूली प्राप्त हो सकती है।बता दे कि लगभग एक किमी की लम्बाई मे लगने वाले मेले मे लगभग साढ़े छह सौ के करीब छोटी बड़ी दुकाने लगती है। नगर पालिका इन दुकानों से लट्ठ की दर से राजस्व वसूलती थीं। साथ ही यह परम्परा बन गयी है कि जो जहां दुकान पिछली बार लगाया था, वही लगायेगा। जबकि यह राजस्व संग्रह के लिये सही नीति नहीं है। आइये आपको समझाते है कि कैसे होती है राजस्व की वसूली -----

झूला चरखी के पास की दुकानों का किराया होता है डबल 

इस साल से पहले झूला चरखी के पास की दुकानों को लगाने का किराया नगर पालिका द्वारा डबल वसूला जाता था। यह भी चर्चा होती थीं कि चूंकि पुराने दुकानदार ही यहां दुकाने लगाते थे, इस लिये इनसे एक बड़ी रकम अवैध रूप से वसूली जाती थीं। इस अवैध वसूली पर रोक लगाने व सर्वाधिक राजस्व वसूली के लिये जिला प्रशासन को यहां लगने वाली दुकानों को लगाने के लिये खुली बोली करानी चाहिये, जिससे जो रकम अवैध वसूली के माध्यम से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती थीं, वह सरकारी खजाने मे जमा की जा सकें।



मीना बाजार की दुकानों का आवंटन भी हो खुली बोली से 

मेला से दूसरी सबसे बड़ी राजस्व वसूली मीना बाजार से होती है। महिलाओं द्वारा सर्वाधिक खरीदारी इसी बाजार से की जाती है। इस बाजार मे भी अवैध चढ़ावे के बल पर कई दुकानदार सबसे अच्छी लोकेशन पर दुकान लगाते है। जिला प्रशासन को चाहिये कि इस बार मीना बाजार की दुकानों के लगाने के लिये सबसे अच्छी दुकानों के लिये बोली के माध्यम से आवंटन करें। यहां अगर कम से कम एक लाख भी दर निर्धारित कर दिया जाय तो भी आसानी से मिल जायेगा।



फुटपाथ के दुकानदारों से वसूली का कूपन छपे राजकीय प्रेस से 

पिछले दिनों फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले दुकानदारों से नगर पालिका द्वारा प्रतिदिन के हिसाब से कूपन काटा जाता है। लेकिन देखा यह जाता है कि वसूली करने वाला यह कूपन स्थानीय स्तर पर ही छपवाया जाता है, जिससे इसकी वास्तविक संख्या मालूम करना टेढ़ी खीर है। जबकि शासनादेश के अनुसार एक रूपये के भी राजस्व की वसूली राजकीय प्रेस से छपी रसीदो / कूपनो से ही की जा सकती है। अगर इस वसूली के लिये राजकीय प्रेस से छपे कूपन का प्रयोग किया जाय तो लाखों रूपये के अवैध भ्रष्टाचार पर रोक लग सकती है।

सभी दुकानों पर जिला प्रशासन लगाये नंबर 

अवैध वसूली को रोकने के लिये इस बार जिला प्रशासन को सभी दुकानों के सामने नंबर और नाम लिखा स्टिकर डिस्प्ले करना चाहिये। जिससे बिना राजस्व जमा किये कोई भी दुकान न लग सकें।