स्वाति मिश्रा व कन्हैया मित्तल के भजनों पर खूब झूमे श्रद्धालु : देर रात तक परिवहन मंत्री ने भी श्रद्धालुओं संग उठाया भक्ति रस का आनंद
बलिया: कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर गंगा नदी के श्रीरामपुर घाट पर शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इसमें सुप्रसिद्ध भजन गायिका स्वाति मिश्रा व कन्हैया मित्तल ने अपने भक्ति गीतों से श्रद्धालुओं को खूब झुमाया। इससे पहले युवा क्लासिकल सिंगर प्रणव 'कान्हा' ने बलिया के थीम सांग से सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत की।
स्वती मिश्रा ने देवी पचरा 'निमिया के डाल मइया' से कार्यक्रम की शुरुआत की। उसके बाद कभी राम बनके कभी श्याम बनके, तेरी मंद मंद मुस्कनिया पर, रामा-रामा रटते-रटते सहित तमाम भक्ति गीत सुनाये। स्वाति का मशहूर भजन 'राम आएंगे तो अंगना सजाऊंगी' का इंतजार सभी श्रद्धालुओं को बड़ी बेसब्री से था, जिसे सुना कर स्वाति ने पूरे माहौल को राममय कर दिया। इसके बाद मशहूर भजन गायक कन्हैया मित्तल ने ' जो राम को लाए हैं' और बजरंगबली के गीतों से लोगों को खूब झुमाया।
इससे पहले प्रणव 'कान्हा' ने 'जय हो जय हो बागी बलिया' का गायन शुरू किया तो श्रद्धालुओं में एक अलग उत्साह देखने को मिला। इस गाने पर लोगों ने भृगु बाबा की खूब जयकार लगाई। इस गीत के जरिये लोगों को बलिया के प्राचीनतम व क्रांतिकारी इतिहास से परिचय कराया। अंजलि उर्वशी ने भी 'सबका ले सुंदर मोरी मइया हे गंगा मइया' गाकर श्रद्धालुओं में भक्ति का रस घोल दिया। अन्य कल करने भी शिव तांडव व अन्य कलाकारों ने भी भक्ति गीतों पर नृत्य प्रस्तुति कर खूब मनोरंजन किया।
श्रद्धालुओं के साथ देर रात्रि तक रहे परिवहन मंत्री, भक्ति-भजन का लिया आनंद
बलिया: कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर गंगा नदी के श्रीरामपुर घाट पर आयोजित कार्यक्रम में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने भी प्रतिभाग किया। उन्होंने श्रद्धालुओं के बीच देर रात्रि तक रहकर भजन-भक्ति गीतों का खूब लुफ्त उठाया। उन्होंने कहा कि आज का दिन हम सबके लिए आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत ही सौभाग्य का दिन है। गंगा स्नान करने के बाद भृगु मंदिर में दर्शन कर लोग अपने आप को धन्य करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर बलिया के गंगा तट की महत्ता को देखते हुए इसी तरह भव्य कार्यक्रम आयोजित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्षवार इस कार्यक्रम की भव्यता और बढ़ाई जाएगी। परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह के नेतृत्व में आयोजित सेवा शिविर में श्रीरामपुर घाट पर श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद के रूप में भोजन की व्यवस्था की गई थी, जिसमें लाखों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।