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भारत इस संघर्ष के कारण विश्व में एक शक्ति के रूप में है उभरा -जनपद न्यायाधीश श्री अमित पाल सिंह







विश्व में जब नया इतिहास लिखा जाएगा तो भारत देश को भी किया जायेगा पन्नों में दर्ज --प्रोफेसर संजीव

डॉ० सुनील कुमार ओझा

बलिया।।अमरनाथ मिश्र पी०जी० कॉलेज दुबेछपरा,  बलिया द्वारा आयोजित वैश्विक मामलों की भारतीय परिषद , नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित "रूस यूक्रेन संघर्ष एवं भारत का दृष्टिकोण" विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह के मुख्य वक्ता प्रोफेसर संजीव श्रीवास्तव,दिल्ली विश्वविद्यालय , नई दिल्ली  ने कहां की रूस यूक्रेन संघर्ष महाशक्तियों के वर्चस्व की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि संघर्ष का समाधान वार्ता से ही संभव होगा। किसी भी देश की विदेश नीति, रक्षा नीति जनता ही तय करती है। उन्होंने कहा कि रूस यूक्रेन  संघर्ष राष्ट्रीय हितों से जुड़ा मुद्दा है। भारत द्वारा रूस और यूक्रेन की यात्रा करना इस बात का संकेत है कि संवाद की प्रक्रिया से ही इस संघर्ष को समाप्त किया जा सकता है, इसका समाधान बुद्धिमत्ता पूर्ण विदेश नीति से ही हो सकता है। भारत विश्व के हितों को ध्यान में रखकर ही  इस संघर्ष को समाप्त करना चाहता है। 





 प्रोफेसर श्रीवास्तव ने कहा कि अब विश्व में नए समीकरण का उदय हो रहा है। जिसके कारण शीत युद्ध का उदय हो सकता है। इस परिस्थिति में भारत दृढ संकल्पित है कि इस संघर्ष को वार्ता के जरिए ही समाप्त किया जा सकता है। विश्व में जब नया इतिहास लिखा जाएगा तो भारतदेश को भी पन्नों में दर्ज किया जाएगा।

 विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर अरुण कुमार श्रीवास्तव जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय , नई दिल्ली ने कहा कि रूस यूक्रेन संघर्ष का पर्यावरण पर बहुत ही प्रभाव पड़ा है। इस संघर्ष का मुख्य केंद्र पर्यावरण केंद्र ही है। 30% क्षेत्र इस संघर्ष से प्रभावित है जिससे 5000 करोड़ की क्षति हुई है।

  मुख्य अतिथि श्री अमित पाल सिंह जनपद न्यायाधीश ने कहा कि सोवियत संघ के विघटन के पश्चात ही इस संघर्ष की नीव पड़ गई थी । उन्होंने कहा कि इस संघर्ष का सबसे बड़ा प्रभाव मानवता पर पड़ा । मानवता का वध इस संघर्ष में हुआ है। इस संघर्ष में भारत ने अपनी सर्वोच्चता को प्राप्त करने का प्रयास किया है। भारत इस संघर्ष के कारण विश्व में एक शक्ति के रूप में उभरा है। भारत के पास अब नेतृत्व की शक्ति है । समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए श्री रमाशंकर मिश्र जी ने भारत के पंचशील सिद्धांत की विस्तृत चर्चा की ।

 राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में कल जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजीत कुमार गुप्त ने कहा कि     भारत हमेशा विश्व-बंधुत्व की भावना के दुनिया का नेतृत्व किया है और आगे भी करेगा ,   दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व प्रति कुलपति प्रोफेसर हरि शरण, प्रोफेसर हर्ष सिन्हा, ने अपने विचार रखते हुए कहा कि रुसीय संघर्ष में भारत का दृष्टिकोण शांतिकारी है ।  प्रथम दिन महाविद्यालय की प्रबंधक श्रीमती विमला जी एवं ईजी० एस०के० मिश्र जी भी उपस्थित रहे ।

 राष्ट्रीय संगोष्ठी में चार तकनीकी सत्र चला जिसमें विविध विश्वविद्यालय में महाविद्यालयों के प्राध्यापक अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये । पूर्व प्राचार्य डॉ० सत्य प्रकाश सिंह ने भी अपने विचार साझा किए। 

  आज समापन कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर गौरी शंकर द्विवेदी ने समस्त अतिथियों का आभार व्यक्त किया। और कार्यक्रम संयोजक डॉ० श्याम बिहारी श्रीवास्तव ने सबको धन्यवाद ज्ञापित किया । संचालन डा० शिवेश प्रसाद राय के बहुआयामी द्विवसीय संचालन ने कार्यक्रम की सफलता में चार चांद लगा दिया , साथ ही डॉ०शिवेश राय की पुस्तक " भारतीय     राजनीति एंव अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध " की  अतिथियों ने भरपूर सराहना की ।

कार्यक्रम में महाविद्यालय के उपप्रबंधक श्री जमालुद्दीन जी , धूपा रामप्यारी बालिका विद्यालय की प्रधानाचार्या शोभा मिश्रा जी , पूर्णानन्द इण्टरमीडिएट कालेज दूबेछपरा के प्रधानाचार्य श्री सुधांशु प्रकाश मिश्र,  डॉ अवनीश चन्द्र पाण्डेय महामंत्री जनकुआक्ता बलिया,डॉ०ब्रजेश कुमार पाण्डेय जी सहित क्षेत्रीय गणमान्य जनता एवं महाविद्यालय के समस्त शिक्षक/शिक्षणेत्तर कर्मचारी और अन्य महाविद्यालयों के दर्जनों  प्राध्यापक गण द्विदिवसीय संगोष्ठी में अपने पेपर का प्रस्तुतिकरण कर इस राष्ट्रीय संगोष्ठी से दो दिनों तक जुड़े रहे ।