वरासत व उत्तराधिकार के लिये मृत्यु प्रणाम पत्र या परिवार रजिस्टर मे नाम दर्ज होना जरुरी नहीं, लेखपाल नहीं कर सकते है इनके न होने पर आवेदन निरस्त
लखनऊ।। माननीय राजस्व परिषद के अध्यक्ष श्री अनिल कुमार ने पूरे प्रदेश मे वरासत व उत्तराधिकार के प्रकरण मे स्थानीय लेखपाल और राजस्व निरीक्षकों द्वारा ऐसे प्रकरणों को मृत्यु प्रमाण पत्र न होने या परिवार रजिस्टर मे नाम अंकित न होने के कारण निरस्त करने की संस्तुतियों को गंभीरता से लिया है। श्री कुमार ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियो को 10 दिसंबर को पत्र भेजकर इस तरह के कार्यों पर तत्काल रोक लगाने का निर्देश जारी किया है।
पत्र मे कहा गया हैं कि भू-अभिलेखों को अद्यतन रखना राजस्व विभाग का मूल दायित्व है। भू-अभिलेखों के अद्यतनीकरण की इस प्रकिया में भूमिधर की मृत्यु के उपरान्त उनके उत्तराधिकारियों के नाम भू-अभिलेखों में त्रुटिरहित एवं समयबद्ध रूप से अंकित किया जाना आवश्यक होता है। इस हेतु निर्विवाद वरासत के आवेदनों के समयबद्ध एवं गुणवत्तापूर्ण निस्तारण के लिये शासन/परिषद स्तर से समय-समय पर आवश्यक दिशा-निर्देश निर्गत किये जाते रहे हैं।
प्रदेश के विभिन्न जनपदों के लेखपाल क्षेत्रवार निर्विवाद वरासत के आनलाइन आवेदनों के निस्तारण की प्रक्रिया में लेखपाल द्वारा राजस्व निरीक्षक को अग्रेसित की गयी आख्या तथा उक्त आख्या के आधार पर राजस्व निरीक्षक द्वारा पारित आदेशों की परिषद स्तर पर समीक्षा करने पर यह पाया गया है कि लेखपाल/राजस्व निरीक्षक के स्तर से काफी अधिक संख्या में आवेदनों को बिना उचित एवं तर्कसंगत कारण अंकित किये अत्यन्त सरसरी तौर पर निरस्त किया जा रहा है।
वरासत के सम्बन्ध में प्राप्त आवेदनों के निस्तारण कम में लेखपाल/राजस्व निरीक्षक द्वारा, मृत्यु प्रमाण पत्र संलग्न न होने, परिवार रजिस्टर में नाम अंकित न होने तथा कोई साक्ष्य संलग्न न होने जैसे कारण अंकित किये जा रहे हैं एवं वरासत के आवेदनों को निरस्त कर दिया जा रहा है। वरासत जैसे संवेदनशील एवं जनहित के कार्य में अपनायी जा रही इस प्रकार की कार्यप्रणाली कदापि स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
इस सम्बन्ध में उल्लेखनीय है कि लेखपाल / राजस्व निरीक्षक राजस्व प्रशासनिक व्यवस्था में स्थानीय प्राधिकारी के रूप में कार्यरत रहते हैं एवं वरासत के प्रकरणों में उनसे यह अपेक्षा रहती है कि वह भलीभाँति स्थलीय सत्यापन / जॉच के उपरान्त मृत खातेदारों के स्थान पर उनके विधिक उत्तराधिकारियों के नाम खतौनी में दर्ज करायें। यदि, किसी ग्राम सभा में खातेदार की मृत्यु हो जाती है तो लेखपाल का यह दायित्व है कि मौके पर जाकर सत्यापन / जॉच करे तथा वारिसों का नाम खतौनी में दर्ज किये जाने हेतु आख्या अग्रसारित करे। चूंकि, लेखपाल भारत सरकार द्वारा जन्म मृत्यु पंजीकरण हेतु रजिस्टार भी नामित हैं इसलिये वारिसों के नाम खतौनी में दर्ज किये जाने हेतु मृत्यु प्रमाण पत्र संलग्न किये जाने की अपेक्षा किया जाना उचित नहीं है।
इसी प्रकार वरासत के प्रकरणों में परिवार रजिस्टर में नामअंकित होना अथवा परिवार रजिस्टर की नकल संलग्न किये जाने तथा अन्य साक्ष्य संलग्न किये जाने की अपेक्षा किया जाना नियमों / शासनादेशों से समर्थित नहीं है, क्योंकि लेखपाल ग्राम सभा का स्थानीय प्राधिकारी है एवं उत्तराधिकार प्रमाण पत्र निर्गत किये जाने हेतु लेखपाल द्वारा ही रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है, तथा जन्म / मृत्यु / परिवार रजिस्टर जैसे साक्ष्यों के निर्माण में उसकी ही रिपोर्ट प्रामाणिक होती है। प्रकारान्तर से यह कहना गलत न होगा कि लेखपाल द्वारा वरासत के प्रकरणों में वांछित साक्ष्यों के निर्माण का दायित्व भी स्वयं लेखपाल का ही है।
अतः उपर्युक्त के दृष्टिगत यह सुनिश्चित कराया जाए कि मृत्यु प्रमाण पत्र/परिवार रजिस्टर एवं साक्ष्य संलग्न न होने की आख्या अंकित करते हुए वरासत के प्रकरण निरस्त न किये जायें, अपितु लेखपाल / राजस्व निरीक्षक द्वारा स्वयं मौके पर जाकर स्थली सत्यापन / जॉच करके मृत खातेदारों के स्थान पर उनके विधिक उत्तराधिकारियों के खतौनी में दर्ज कराया जाये। यदि, मृत खातेदार के उत्तराधिकारियों के ग्राम में निवास होने के कारण वरासत दर्ज किये जाने हेतु समुचित जानकारी प्राप्त न हो पा रही लेखपाल द्वारा सुस्पष्ट आख्या अंकित करते हुए निर्धारित प्रक्रियानुसार प्रकरण न्यायालय संदर्भित किया जाये।