कड़कड़ाती सर्दी मे जनता को गर्मी का एहसास कराएंगे यूपी के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा, पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्कॉम को निजी हाथों मे सौपने की हुई तैयारी
लखनऊ।। उत्तरप्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा अपने दशकों के प्रशासनिक अनुभवों के बाद भी ज़ब प्रदेश की सरकारी बिजली कंपनियों मे घाटे को नियंत्रित नहीं कर पाये तो इनको सीधे तौर पर पीपीपी मॉडल पर निजी हाथों मे सौपने का निर्णय कर लिया है। यह खबर प्रदेश की जनता के लिये सर्द कड़कड़ती ठंडी मे गर्मी का एहसास कराने वाली है। क्योंकि बिजली विभाग के कर्मचारी संगठनों ने इसका पुरजोर विरोध करने का निर्णय लिया है। वही सरकार भी हड़ताल से निपटने के लिये आगामी 6 माह तक प्रदेश मे राज्य कर्मचारियों के हड़ताल पर रोक लगाते हुए हड़ताल होने पर एस्मा के तहत कार्यवाही करने की चेतावनी दें दी है। निश्चित ही इस आरपार की लड़ाई मे बिजली उपभोक्ताओं की मुश्किलें बढ़ने वाली है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के 42 जिलों की बिजली आपूर्ति व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण के तहत सरकारी और आउटसोर्स कर्मियों के लिए नए नियम लागू किए जा रहे है, जिनमें स्थानांतरण, अनुबंध अवधि और नौकरी की सुरक्षा से जुड़े सख्त प्रावधान शामिल हैं। ऐसे में कर्मचारियों के हितों की रक्षा सुनिश्चित करना यूपीपीसीएल के लिए बड़ी चुनौती होगी।
उत्तर प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन प्रबंधन बिजली की व्यवस्था को निजी हाथों में देने की तैयारी कर रहा है।लगातार घाटे में चल रही प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियों को फिर निजी हाथों में दिये जाने की तैयारी है। पिछले सोमवार को हुई बैठक में ये फैसला लिया गया है।इस बैठक में वित्तीय समीक्षा की गई जिसमें यूपी पॉवर कॉरपोरेशन के चेयरमैन और सभी बिजली वितरण कम्पनियों के प्रबंध निदेशक ने अपनी सहमति जताई है।
बैठक में तय हुआ कि ऐसे क्षेत्र जहां घाटा अधिक है वहां सहभागिता के आधार पर निजी क्षेत्र को जोड़कर सुधार किया जाये।इसके जरिए 1.1 लाख करोड़ के घाटे वाली बिजली कम्पनियों को उबारने की कोशिश की जाएगी। इसके लिए देश के दो बड़े उद्योगपति घरानों के साथ बातचीत भी हो गई है।
50-50 के फॉर्मूले पर काम करेंगी कंपनियां
नई व्यवस्था के तहत इसका चेयरमैन सरकार की ओर से होगा और प्रबंध निदेशक निजी क्षेत्र का व्यक्ति होगा। फिलहाल 50-50 के फ़ॉर्म्युले पर निजी कंपनियां काम करेंगी।नई व्यवस्था में इसका चेयरमैन आईएएस अधिकारी को बनाया जाएगा। इसके लिए ओड़िसा में संचालित निजी मॉडल का अध्ययन होगा, जिसके आधार पर आगे की प्रक्रिया तय की जा सकती है।
यूपी के इन 42 जिलों की बिजली होगी प्राइवेट, सरकारी कर्मियों के लिए सेट किये गए ये नियम
उत्तर प्रदेश के 42 जिलों की बिजली आपूर्ति व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण के तहत सरकारी और आउटसोर्स कर्मियों के लिए नए नियम लागू किए जा रहे है। जिनमें स्थानांतरण, अनुबंध अवधि और नौकरी की सुरक्षा से जुड़े सख्त प्रावधान शामिल हैं. ऐसे में कर्मचारियों के हितों की रक्षा सुनिश्चित करना यूपीपीसीएल के लिए बड़ी चुनौती होगी। इस बदलाव से लगभग 1.71 करोड़ उपभोक्ता प्रभावित होंगे। निजीकरण के तहत सरकारी और आउटसोर्स कर्मियों के लिए नए नियम लागू किए गए हैं, जिनमें स्थानांतरण, अनुबंध अवधि और नौकरी की शर्तें शामिल हैं।
कर्मचारियों के लिये ये बनाये गये है नियम
पहले वर्ष में सभी कर्मियों को निजी कंपनी में ही काम करना होगा।
दूसरे वर्ष में केवल एक-तिहाई कर्मियों को पावर कॉर्पोरेशन के अन्य डिस्कॉम में स्थानांतरित किया जाएगा।
अनुबंध समाप्त होने के बाद, कर्मचारियों को रखने या हटाने का अधिकार निजी कंपनी के पास होगा।
निजीकरण का विरोध जारी
पीपीपी मॉडल के तहत बिजली व्यवस्था निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया को लेकर इंजीनियर और कर्मचारी लगातार विरोध कर रहे हैं। हालांकि, प्रबंधन का कहना है कि निजीकरण से बिजली आपूर्ति में सुधार होगा और कर्मचारियों को चरणबद्ध तरीके से विकल्प प्रदान किए जाएंगे।
यह कदम राज्य की बिजली व्यवस्था में बदलाव का संकेत है, जहां कर्मचारियों का भविष्य निजी कंपनियों की शर्तों पर निर्भर होगा। इससे जुड़ी चिंताओं को दूर करना और कर्मचारियों के हितों की रक्षा सुनिश्चित करना यूपीपीसीएल के लिए बड़ी चुनौती होगी।
इन 42 जिलों की बिजली होगी प्राइवेट
जागरण.कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) घाटे को कम करने के उद्देश्य से पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की बिजली आपूर्ति को पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रहा है. बता दें कि इसमें पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के तहत आने वाले सभी जिलें शामिल है.
इन दोनों डिस्कॉम में 42 जिलों के 1.71 करोड़ उपभोक्ता शामिल हैं. बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए यहां 16,000 नियमित इंजीनियर और कर्मचारी तथा 44,000 संविदा कर्मी कार्यरत हैं।
आउटसोर्स कर्मियों का भविष्य अनिश्चित
आउटसोर्स कर्मचारियों का कार्यकाल उनके मौजूदा अनुबंध तक सीमित रहेगा।
अनुबंध समाप्ति के बाद, निजी कंपनी कर्मियों को रखने या हटाने का निर्णय लेगी।
कंपनी के पास कार्य दक्षता के आधार पर छंटनी का अधिकार होगा।