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" साहित्यकार सत्कार : आपके द्वार " प्रकल्प शुरू :वरिष्ठ साहित्यकार उमा सहाय और अजामिल व्यास को मिला साहित्य वारिधि सम्मान



साहित्यकारों के पास जाकर उन्हें सम्मानित करने की यह परिकल्पना उच्च कोटि की : अजामिल

प्रयागराज ।। साहित्यांजलि प्रकाशन के इस  सम्मान समारोह में शामिल होकर बहुत गर्व का अनुभव कर रहा हूं ।आप सभी आत्मीय जनों से सम्मानित होकर यह लग रहा है कि मुझे अपने परिवार का आशीर्वाद मिला है। बड़े बुजुर्ग साहित्यकारों के पास जाकर उन्हें सम्मानित करने की यह आपकी कल्पना ही उच्च कोटि की है और शायद यही सच्चा सम्मान भी है। हम जानते हैं कि आपका जुनून आपके संकल्पना को शक्ति देता है और पूरा साहित्यिक समाज आपके इस निश्चल कार्य में आपके साथ खड़ा है। अब  साहित्यिक सम्मानों में जिस तरह की राजनीति का समावेश हो गया है उसे देखते हुए आप सभी लोगों से यह सम्मान प्राप्त करके मुझे बहुत खुशी हो रही है। ईश्वर आपको शक्ति दे कि आप अपने इस कार्य को भविष्य में भी संपादित कर सकें, मैं आपके साथ हूं। मैं जो कुछ भी यथोचित आपके लिए कर सकता हूं उसके लिए आप बेहिचक मुझे आदेश कीजिएगा इस सम्मान में आपने मुझे जो भी औपचारिक उपहार दिए हैं वह सब मेरी निधि है और उन्हें संभाल कर पूरे सम्मान के साथ अपने पास रखना मेरा धर्म है।आपकी इस आत्मीयता के लिए आभार शब्द बहुत छोटा है। मेरा कर्तव्य है कि मैं इसे अपनी स्मृति में हमेशा सहेज कर रखूं और वह मैं करूंगा।आपकी पूरी टीम के लिए मैं धन्यवाद देता हूं।





 उपरोक्त उद्गार जाने माने वरिष्ठ रंगकर्मी पत्रकार व वरिष्ठ साहित्यकार अजामिल जी ने उस समय व्यक्त किये जब वह  प्रयागराज महानगर के साहित्यकारों और प्रकाशकों द्वारा संयुक्त रूप से  आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की जयंती पर शुरू  किए गए  अनूठे प्रकल्प  साहित्यकार सत्कार :आपके द्वार   में बतौर मुख्य अतिथि साहित्यकारों को सम्बोधित कर रहे थे।उन्होंने कहा कि अब यह प्रयास अनवरत जारी रहेगा।



         अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठसाहित्यकार जया मोहन ने कहा कि यह संकल्प साहित्य के प्रति अत्यंत निष्ठावान लोगों की ओर से लिया गया है जो अवश्य ही पूर्ण होगा। डॉ भगवान प्रसाद उपाध्याय व्यवस्थापक साहित्यांजलि प्रकाशन  ने कहा कि  आज श्रीमती उमा सहाय और श्री अजामिल जी को साहित्य वारिधि सम्मान देकर वह स्वयं को बहुत भाग्यशाली मानते हैं।

 विशिष्ट अतिथि  डॉ राम लखन चौरसिया वागीश  ने अपनी साहित्य यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रयागराज में शुरू की गई यह योजना हिन्दी साहित्य जगत में मील का पत्थर साबित होगी और भविष्य में यादगार बनी रहेगी। कानपुर से पधारे पत्रकार साहित्यकार डा० सुभाष चन्द्रा ने कहा कि यह आयोजन साहित्यांजलि प्रकाशन प्रयागराज के लिए एक सुखद भविष्य की नींव रखने में सफल हुआ है। केशव प्रकाश सक्सेना ने कहा कि यह हम सभी के लिए एक सुनहरा अवसर है। विश्व ज्योति सहाय ने सभी अतिथियों का भव्य स्वागत किया। समारोह का सफल संचालन रंजन पाण्डेय जी ने किया जिसमें मधुकर मिश्र रीता मिश्र  एवं  सहाय परिवार के सभी सदस्य उपस्थित रहे।