सिटी मॉन्टेसरी स्कूल की किताब का दावा :बाबरी मस्जिद को विहिप के कट्टरपंथी आतंकी हिन्दुओं ने किया ध्वस्त,कारसेवको पर गोली चलाना सही, अक्साई चीन व पीओके नहीं है भारत का हिस्सा
मधुसूदन सिंह
लखनऊ।। पूरे विश्व के सबसे बड़े स्कूल का दावा करने वाले लखनऊ के प्रतिष्ठित स्कूल सिटी मॉन्टेसरी स्कूल द्वारा 21 नवंबर से 24 नवंबर तक आयोजित 25th इंटरनेशनल चीफ जस्टिस कांफ्रेंस मे बांटे गये पम्पलेट्स और उत्तरप्रदेश सरकार के पूर्व उप मुख्यमंत्री, लखनऊ के पूर्व महापौर और वर्तमान सांसद डॉ दिनेश शर्मा के हाथों एक ऐसी किताब " एक समर्पित जीवन -डॉ भारती गांधी "(लेखक डॉ सुषमा भारद्वाज और अजय कुमार श्रीवास्तव )का विमोचन कराया है, जो अब विवादों मे घिरती दिख रही है। बांटे गये पंपलेट्स और विमोचित किताब मे दावा किया गया है कि बाबरी मस्जिद के ढांचे के एक एक ईट को 6 दिसंबर 1992 को विहिप के कट्टरपंथी आतंकी हिन्दुओं ने तोड़ा है। साथ ही अक्टूबर 1990 मे मुलायम सिंह सरकार द्वारा कारसेवको पर गोली चलवा कर उनकी हत्या को भी सिटी मॉन्टेसरी स्कूल द्वारा प्रकाशित किताब मे जायज ठहराया गया है। यही नहीं इस किताब मे छपे हिंदुस्तान के नक़्शे के अनुसार अक्साई चीन व पीओके भारत का हिस्सा नहीं है। पीओके के एक हिस्से को डॉटेड लाइन के जरिया दिखाया गया जिसका मतलब प्रतीत होता है कि इसको भारत ने जबरिया कब्जा किया हुआ है।
नीचे किताब के पन्ने पर लिखी गयी लाइन्स को पढ़िए आप खुद समझ जायेंगे कि श्रीराम भक्तों को सिटी मॉन्टेसरी स्कूल क्या मानता है?
सिटी मॉन्टेसरी स्कूल ने रोके लखनऊ मे दंगे, जिलाधिकारी ने की थीं विनती!
इस किताब मे छपी लाइनों के अनुसार बाबरी मस्जिद के ढांचे को (जो मुसलमानों के लिये एक लैंडमार्क थीं ) ज़ब विहिप के कट्टरपंथी आतंकी हिन्दुओं ने तोड़ दिया और पूरे देश मे दंगे तुरंत शुरू हो गये तो 40 प्रतिशत मुस्लिम आबादी (यह कहां से ज्ञात हुआ पता नहीं ) वाले लखनऊ मे सीएमएस स्कूल के संस्थापक जगदीश गांधी के प्रयास से दंगे नहीं हो पाये। इस किताब मे यह भी दावा किया गया है कि तत्कालीन जिलाधिकारी लखनऊ ने जगदीश गांधी से लखनऊ को बचाने की गुहार लगायी थीं। इस किताब मे कहा गया है कि प्रशासन दंगों को रोकने मे बहुत कम पुलिस फ़ोर्स होने के कारण सक्षम नहीं था , क्योंकि अधिकतर फ़ोर्स अयोध्या व उसके आसपास लगा दी गयी थीं, जिलाधिकारी के कहने पर जगदीश गांधी ने सभी धर्मो के नेताओं से वार्ता करके लखनऊ मे दंगे को होने से रोक दिया।
बता दे कि सिटी मॉन्टेसरी स्कूल के संस्थापक स्व जगदीश गांधी वही व्यक्ति है जो हिन्दू संतो और राम चरित मानस की चौपाइयो को गलत और कुरान को दुनिया का सबसे पवित्र ग्रन्थ बताया था। सूच्य हो कि स्व जगदीश गांधी हिन्दू से 1974 मे ही बहाई पंथ (जो ईरान से निकली हुई मुस्लिम मजहब की एक शाखा के रूप मे है )को सपरिवार अपना लिया था, जो खुला व सार्वजनिक तथ्य है । इनके द्वारा संचालित विद्यालय मे बहाई पंथ की प्रार्थना को ही महत्व दिया जाता है। सिटी मोंटेसोरी स्कूल बहाई पंथ को बढ़ाने और इसके अनुसार प्रचार करने मे लगा हुआ है, यह हम नहीं कह रहे है, यह बहाई पंथ की वेबसाईट पर लिखा हुआ है। सूच्य हो कि बहाई पंथ के द्वारा ही दिल्ली मे लोटस टेम्पल बनाया गया है।
मामला अत्यंत गंभीर है, हमारे बच्चों को क्या शिक्षा दे रहा यह स्कूल?
सिटी मॉन्टेसरी स्कूल लखनऊ, द्वारा प्रकाशित किताब ने इस स्कूल पर पूर्व से लगते आ रहे आरोप कि बच्चों को पढ़ाने के नाम पर पहले से ही बहाई पंथ में हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराता आया है और हिंदू विरोधी गतिविधियों में सम्मिलित रहा है तथा हिंदू बच्चों के अंदर सनातन धर्म के खिलाफ धीमा जहर भरता रहा है और पूजा पाठ को ढोंग बताता रहा है, साबित होना प्रतीत हो रहा है । यही नहीं इसके संस्थापक द्वारा श्रीरामचरितमानस जैसे महान ग्रंथ पर प्रश्न चिन्ह लगाया जाता रहा है। नीचे के वीडियो को देखिये ----
अब सीधे तौर पर पत्रक बांटकर और किताबें छपवाकर हिंदुओं को कट्टरपंथी आतंकी हिंदू, कट्टर पंथी हिंदू बता रहा है।विश्वहिंदू परिषद को कट्टर पंथी आतंकी हिंदुओं का ग्रुप बता कर, कार सेवकों पर चली गोलियों और कार सेवकों की हत्या को सही ठहरा रहा है।मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा श्रीराम मंदिर तोड़कर बनाए गए बाबरी ढांचे को सही ठहरा कर उसे मुस्लिमों की भावनाओं से जुड़ा बताया जा रहा है, वहीं यह भी कहा जा रहा है कि आतंकी हिंदुओं ने बाबरी मस्जिद को राम जन्मभूमि बताकर मस्जिद पर अटैक किया और मस्जिद का एक एक पत्थर तोड़ दिया। जबकि सर्व विदित सत्य है और देश के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से साबित हो गया है कि 1528 मे मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा श्रीराम मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद बनायीं गयी थीं।
तो क्या सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को गलत मानता है सिटी मॉन्टेसरी स्कूल?
अब सवाल यह उठता है कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय आ जाने के बाद किसी भी मुस्लिम संगठनों ने सिटी मॉन्टेसरी स्कूल जैसी शब्दावली का प्रयोग,अयोध्या मामले मे अदालती निर्णय व श्रीराम मंदिर बन जाने के बाद,नहीं किया है। ऐसे मे हिन्दुओं के ही बच्चों से विश्व के नंबर वन स्कूल का दावा करने वाले सिटी मॉन्टेसरी स्कूल,इस किताब व बच्चों मे बांटे गये पम्पलेट्स के माध्यम से क्या संदेश देना चाह रहा है? क्या सर्वोच्च न्यायालय ने गलत निर्णय दिया है? बाबरी मस्जिद श्रीराम जन्मभूमि पर स्थित मंदिर को तोड़कर नहीं बनायी गयी थीं? सर्व धर्म संभाव की बात करने वाले इस स्कूल के लिये क्या श्रीराम जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिये अपने प्राण न्योछावर करने वाले श्रीराम भक्त आतंकी हिन्दू थे?
जबाब तो जनता उन बड़े नेताओं और विहिप के नेताओं से भी मांग रही है कि हिन्दुओं पर इतनी बड़ी टिप्पणी करने वाली किताब का विमोचन एक हिंदूवादी नेता के हाथों, अनजाने मे ही सही होता है और किसी की भी हिम्मत सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से इस संबंध मे सवाल पूंछने की क्यों नहीं हो रही है? क्या आयोजनों के लिये मुफ्त मे मिलने वाले हाल, हिन्दुओं को, श्रीराम भक्तों को कट्टरपंथी हिन्दू आतंकी कहने पर भारी है? सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर तो यह आवाज उठ रही है लेकिन न जाने क्यों हिन्दुओं व सनातन की रक्षा करने का दम्भ भरने वाले संगठन चुप्पी साधे हुए है।