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संस्कार भारती में सरस्वती-पूजन एवं भव्य कवि सम्मेलन








प्रयागराज।। बसन्त-पंचमी के पावन-पुनीत अवसर पर मेला-क्षेत्र स्थित संस्कार भारती के महेश्वर परिसर में प्रातःकाल सरस्वती-पूजन एवं प्रसाद वितरण हुआ।पं•राजेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी 'मधुकर' के वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यजमान योगेन्द्र कुमार मिश्र एवं रेखा मिश्रा ने विधिवत सरस्वती-पूजन-हवन किया।



सायंकाल जनकवि प्रकाश की अध्यक्षता में तथा राजेश सिंह राज की सरस्वती वंदना

 'ममतामयि ज्ञान दायिनी मईया शारदे प्राणों में भरो दिव्य ज्ञान का विहान।

अलसाये जाग उठें जप तप में लगे लगन भटके भी साध सके सतपथ का ध्यान।' 

से कवि सम्मेलन का शुभारंभ हुआ।

अमरदीप की तरह जलो तुम मत बुझना तूफानों में,

बढते रहना रुक मत जाना जग वालों के तानों में,

पढ़कर वरिष्ठ कवि डा•योगेन्द्र कुमार मिश्र 'विश्वबन्धु' ने श्रोताओं की तालियां बटोरीं।शम्भूनाथ श्रीवास्तव, पं•राकेश मालवीय ने 

 महाकुंभ के कालखंड में, किसको तिलक लगाऊँ।

कहाँ खड़े हैं राम दुलारे, किसको टेर सुनाऊँ? 

पढ़कर खूब तालियां बटोरी।

आकर्षक संचालन के साथ डा•पीयूष मिश्र पीयूष ने 

 गंगा में जब नहाया जीवन नवल हुआ है, 

तन भी खिला खिला है मन भी धवल हुआ है

पंक्तियां पढ़कर वाहवाही लूटी। कवि-कलाकार रवीन्द्र कुशवाहा ने अपनी कविता 

पहले भी लोग मरते थे अब खुद को मार रहे हैं 

तो क्या वह इंसानियत क्या मानवता को तार रहे हैं

 सुनाकर दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया कवि विवेक सुमन शर्मा ने भी रचना पाठ कर तालियां बटोरीं।