यूपी मे लॉटरी से हुआ देशी विदेशी बियर और भांग की दुकानों का आवंटन, मात्र प्रतिभाग करने वालों से प्रदेश सरकार को मिला लगभग 225 करोड़ का राजस्व
मधुसूदन सिंह
लखनऊ दिनांक 06 मार्च, 2025।। उत्तरप्रदेश मे देशी मदिरा की 16052 दुकानों, 9362 कम्पोजिट शॉप्स, भांग की 1459 दुकानों तथा 435 मॉडल शॉप्स के व्यवस्थापन हेतु प्रथम चरण की ई-लॉटरी दिनांक 06.03.2025 को प्रदेश के 75 जिलों में एन.आई.सी. राज्य स्तरीय इकाई एवं जिला स्तरीय इकाईयों के विशेषज्ञों के तकनीकी सहयोग एवं मार्गदर्शन में सम्पादित की गई। इसमें देशी मदिरा की 15906 दुकार्नो, 9341 कम्पोजिट शॉप्स, भांग की 1317 दुकानों तथा 430 मॉडल शॉप्स का व्यवस्थापन हुआ। इन दुकानों के व्यवस्थापन से लगभग रूपया 4278.8 करोड़ की लाइसेंस फीस राज्य सरकार को प्राप्त होगी। देशी मदिरा की व्यवस्थित हुई दुकानों में लगभग 75.80 करोड बल्क लीटर कोटा व्यवस्थित हुआ। ई-लॉटरी के प्रथम चरण के उपरांत बची हुई देशी मदिरा की 146, 21 कम्पोजिट शॉप्स, भांग की 142 दुकानों तथा 05 मॉडल शॉप का व्यवस्थापन ई-लॉटरी के दद्वितीय चरण में संपन्न कराया जायेगा। आज दिनांक 06.03.2025 को संपन्न हुए ई-लॉटरी के प्रथम चरण के अनंतिम आवंटियों को सूचित किया जाता है कि वे अपने आवंटनादेश संबंधित जिला आबकारी अधिकारी कार्यालय से कल दिनांक 07.03.2025 को संपर्क करके प्राप्त कर सकते हैं तथा आवंटित दुकान से संबंधित निर्धारित देयताएं अनिवार्य रूप से दिनांक 12.03.2025 तक जमा करना सुनिश्चित करें।
अगर 2023 मे जनहित याचिका निरस्त नहीं होती तो आज की ही तरह भरता सरकार का खजाना
योगी सरकार ज़ब प्रदेश मे पहली बार बनी थी, तब प्रदेश मे शराब के फैले सिण्डिकेट को ध्वस्त करने के लिये और सबको समान अवसर प्रदान करने के लिये नयी आबकारी नीति लेकर आयी थी। इस नीति के अनुसार यह फैसला हुआ कि अब से आबकारी की दुकानों का आवंटन ई लॉटरी के माध्यम से किया जायेगा। लेकिन एक बार ज़ब ई लॉटरी से आवंटन के बाद दुकानों का नवीनकरण होने लगा तो 2022 नवंबर मे माननीय उच्च न्यायालय प्रयागराज मे मधुसूदन सिंह द्वारा एक जनहित याचिका दायर कर माननीय न्यायालय से नवीनीकरण को बंद करके पुनः ई लॉटरी के माध्यम से आवंटन कराने हेतु सरकार को निर्देश देने की मांग की गयी थी। इस जनहित याचिका मे यह भी उदाहरण देकर बताया गया था कि कैसे नवीनीकरण के चलते अरबों रूपये के राजस्व का नुकसान सरकार को हो रहा है। लेकिन दुर्भाग्य रहा कि तत्कालीन आबकारी आयुक्त ने ऐसी चाल चली और पूरे सरकारी सिस्टम को समझाया कि लॉटरी की बजाय कैसे नवीनीकरण से सरकारी खजाना भर रहा है और माननीय कोर्ट से जनहित याचिका को ख़ारिज करा दिया।
लेकिन कहा जाता है कि समय आखिरकार असलियत को सामने ला ही देता है। आज की लॉटरी से आयी धनराशि ने यह साबित कर दिया कि अगर तत्कालीन आबकारी आयुक्त की बातों मे शासन के उच्चाधिकारी नहीं आये होते तो अबतक खरबों रूपये सरकार के खजाने मे लॉटरी मे मात्र प्रतिभाग करने से मिल गये होते। जैसे आज की लॉटरी मे भाग लेने वालों ने सरकारी खजाने को भर दिया।
मै बलिया जनपद का ही उदाहरण ले रहा हूं। इस जनपद मे देशी शराब की 145,कम्पोजिट अंग्रेजी शराब की 98,मॉडल शॉप 2 और भांग की 30 दुकानों ने मात्र लॉटरी मे भाग लेने वालों से लगभग 35 करोड़ रूपये की आमदनी सरकार को हुई है। पूरे प्रदेश मे कुल 75 जिलों मे अगर मात्र 30 करोड़ का ही औसत रखा जाय तो लॉटरी से 225 करोड़ रूपये की आमदनी हुई है। लाइसेंस फीस अभी अलग है। जबकि अगर नवीनीकरण होता तो एक दुकान से औसतन 40 हजार के हिसाब से 275*40 हजार =11000,000 (1 करोड़ 10 लाख) की ही आमदनी होती। जबकि लॉटरी के कारण 35 करोड़ की हुई है, यानि शुद्ध रूप से लगभग 34 करोड़ का मुनाफा। अगर पूरे प्रदेश की बात करें तो 1 करोड़ 10 लाख * 75 = 825000000 रूपये (82 करोड़ 50 लाख )ही प्राप्त होते। यानि शुद्ध रूपये से लगभग 142 करोड़ का घाटा होता।
मै आज की लॉटरी के होने के बाद माननीय मुख्यमंत्री योगी जी, आबकारी मंत्री जी और वर्तमान आबकारी आयुक्त को हृदय से धन्यवाद देता हूं कि आपने नवीनीकरण से हो रहे घाटे को देर से ही सही समझा और ई लॉटरी सिस्टम को शुरू किया। निश्चित रूप से अगर ई लॉटरी की प्रक्रिया प्रति वर्ष लागू होती रहे तो उत्तरप्रदेश सरकार राजस्व के मामले मे स्वतः ही बिना केंद्र के सहयोग से आत्मनिर्भर हो जाएगी और विकास की गंगा बहा देगी।