सिर्फ शराब के साथ गिरफ्तार तस्करों को जेल भेजनें से नहीं रुकेगा यह खेल, मुख्य माफिया तक पहुंचना होगा बिहार पुलिस को
मधुसूदन सिंह
बलिया।। उत्तरप्रदेश से सटे बिहार राज्य के सीमावर्ती जिलों मे बलिया से भेजी गयी शराब के पकड़े जाने की खबरें अब रोजमर्रा की खबरों जैसे लगने लगी है। चाहे बलिया पुलिस हो या बिहार राज्य की पुलिस हो, शराब की खेप पकड़ती है, पकड़ी गयी शराब, गाड़ी व तस्करों के साथ फोटो खिचवाती है, अखबारों को खबर भेज कर यह दर्शाती है कि देखिये हमने कितनी बड़ी सफलता अर्जित कर ली है। यही खेल महीने मे कई बार या कम से कम एक बार जरूर खेला जाता है। शराब माफियाओं द्वारा यह चोर पुलिस का खेल लगातार खेला जाता है। क्योंकि इस खेल मे सिर्फ प्यादे ही बलि वेदी पर चढ़ते है, मेन सरगना का कुछ होता ही नहीं है। इन माफियाओं द्वारा महीने मे कई बार ऐसा काम किया जाता है, एक दो बार माल पकड़े जाने पर इनकी सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। क्योंकि न जाने क्यों बलिया पुलिस हो या बिहार पुलिस मुख्य सरगनाओं तक कानूनी शिकंजा कसती ही नहीं है।
सिर्फ प्यादों को पकड़ कर जेल भेजनें से शराब तस्करी का खेल रुकने वाला नहीं है। क्योंकि पकड़े जाने पर यूपी मे तो एक सप्ताह के अंदर जमानत मिल जाती है, लेकिन बिहार मे कुछ माह लग जाता है। साथ ही इसमें सजा भी कम है, ऐसे मे इस धंधे मे प्यादें आसानी से मिल जाते है। मुख्य सरगनाओं का कुछ होता नहीं है, इस लिये ये लोग इस खेल को लगातार जारी रखते है।
बलिया पुलिस हो या बिहार पुलिस हो,अगर वास्तव मे इस धंधे पर रोक लगाना चाहती है तो उन्हें गिरफ्तार अभियुक्तों को रिमांड पर लेकर उस गोदाम और माफिया के ठिकानों को चिन्हित करना पड़ेगा, जहां से शराब बिहार के लिये भेजी जाती है। अगर ऐसा होने लगे और थोक अनुज्ञापियों को भी आरोपी बना कर उनकी गिरफ्तारी होने लगे तो बहुत हद तक इस धंधे को रोका जा सकता है। अब देखना है कि पुलिस अधीक्षक सारण (छपरा ) बिहार, पकड़े गये कृष्ण कुमार को रिमांड पर लेकर मुख्य सरगना पर शिकंजा कसते है या माल जब्त करने के साथ ही इस मामले को ठंडे बस्ते मे डाल दे रहे है।
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