विश्व रंगमंच दिवस पर बंगाली कहानी -गोपाल की मां का नाट्य पाठ
प्रयागराज।। विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर समन्वय संस्था के कार्यालय गुल्टेरिया अपार्टमेंट सुलेमसराय में नाटक भरम का नाट्य पाठ उपस्थित अतिथियों के सामने किया गया। यह नाटक बांग्ला साहित्य के प्रसिद्ध साहित्यकार उदयन घोष की कहानी गोपाल की मां का नाट्य रूपांतरण है।नाटक बताता है कि मनुष्य असीम संभावनाओं का दूसरा नाम है,पर कई बार हम अपने दुखों से पलायन कर एक भ्रम में जीने लगते हैं और उसी को वास्तविक जीवन समझ लेते हैं। पर भ्रम तो भ्रम है एक दिन टूट ही जाता है और एक बार फिर हमारा जीवन अकेलेपन और निराशा से भर उठता है। फिर हमारा मन यह सोचता है कि हमारे जीवन की आखिरी उम्मीद हम खुद हैं और जब तक हम हैं तब तक जीवन है। भरम नाटक का पाठ समन्वय रंग मंडल के कलाकारों सुषमा शर्मा अर्णव राय और दीपेंद्र सिंह द्वारा किया गया।शीघ्र इस नाटक का मंचन वरिष्ठ रंग कर्मी एवं निर्देशिका सुषमा शर्मा के निर्देशन में किया जाएगा।
सूच्य हो कि विश्व रंगमंच दिवस का प्रारंभ सर्वप्रथम 1961 में अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (आईटीआई) द्वारा किया गया। वियना में राष्ट्रपति अरवी किविमा ने अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान के फिनिश केंद्र की ओर से इस प्रस्ताव को रखा था। इसके पश्चात 27 मार्च 1962 से यह प्रतिवर्ष अत्यंत उत्साह पूर्वक संपूर्ण विश्व में मनाया जाने लगा। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य विश्व में रंगमंच के महत्व को लोगों तक पहुंचाना एवं इसके प्रति लोगों में रुचि उत्पन्न करना है। रंगमंच मात्र मनोरंजन का साधन नहीं अपितु यह लोगों तक अपनी बात पहुंचाने का एक बेहतरीन माध्यम है। भारतवर्ष में भी रंगमंच की अति प्राचीन और समृद्ध परंपरा रही है जिसे भरत मुनि के नाट्य शास्त्र से समझा जा सकता है। कार्यक्रम में विशिष्टअतिथियों में डॉ मधु रानी शुक्ला, मीना उरांव, शारदा पाठक, कवि-कलाकार रवीन्द्र कुशवाहा, सुशील राय, विजय कुमार, दीपेंद्र सिंह, अर्नव राय, श्रेयश शुक्ला, प्रज्ञान राय इत्यादि विशिष्ट गणमान्य उपस्थित रहे।