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योगीराज मे भी बलिया पुलिस के रूप अनेक : आम को दिखाती है कोर्ट का रास्ता, खास के लिये खुद बन जा रही है पैरवीकार

 


मधुसूदन सिंह 

बलिया।। योगीराज मे वास्तव मे क़ानून का राज दिखलायी देता है, दबंगो से असहायों को राहत भी मिलती है। लेकिन कभी कभी इसी राज मे पुलिस ऐसे कार्य करने लगती है जिसको देखने के बाद यह सोचना पड़ता है कि क्या योगीराज मे भी क़ानून की जगह सिफारिश भारी है? जी हां, ऐसा ही नजारा बलिया मे देखने को मिल रहा है, जहां पुलिस के कई रूप सामने आ रहा है।

पहली घटना हल्दी थाना क्षेत्र की है। जहां कोलकाता रहने वाले एक व्यक्ति ने अपनी मकान अपने गांव के परिचित को देख रेख के लिये दी थी। उस व्यक्ति के जीवित रहते तो कोई बात नहीं हुई लेकिन ज़ब वह व्यक्ति मर गया तो मकान की देखरेख करने वाला व्यक्ति 5 रूपये के बिना खरीद बिक्री वाले स्टाम्प पर मृतक का हस्ताक्षर बनाकर मकान पर कब्जा कर लिया है। जबकि जिस भू खंड पर मकान है, उस पर मृतक के अविवाहित दो पुत्रियों व एक पुत्र का नाम सरकारी दस्तावेजों मे दर्ज है। अब ज़ब ये बच्चे पुलिस के पास कब्जा किये हुए व्यक्ति को हटाने के लिये जाते है, तो पुलिस कह रही है, यह दीवानी का मामला है, हम कुछ नहीं कर सकते है। एक व्यक्ति अवैध रूप से कब्जा किये हुए है और उसको पुलिस नहीं हटा सकती है।





दूसरी घटना मनियर थाना क्षेत्र के एक गांव की है। जहां एक विवाहित पुत्री अपने पिता के द्वारा दी गयी जमीन पर घर बनाकर रहती है। इसी की भाभी जो अलग रहती है, ने घर का ताला तोड़कर सामान चोरी कर लिया है। पीड़िता द्वारा थाने पर तहरीर दी तो स्थानीय पुलिस ने कहा कि यह पारिवारिक मामला है और मुकदमा नहीं लिखी। पुलिस अधीक्षक से भी गुहार लगाने के बाद भी अभी स्थानीय पुलिस पंचायत कराने मे जुटी हुई है। यानि पारिवारिक व्यक्ति ताला तोड़ कर चोरी करें तो यह चोरी नहीं है।

अब तीसरा मामला देखिये, यह थाना कोतवाली क्षेत्र का है। यहां एक व्यक्ति द्वारा मात्र एक लाख रूपये मे 160 वर्ग फिट जमीन रजिस्ट्री करायी जाती है। इस प्लाट से बाहर निकलने के लिये कोई रास्ता नहीं है। साथ ही इस प्लाट से लगे ही उस व्यक्ति की करोड़ों की जमीन भी है, जिसका रास्ता न होने के कारण इसका स्वामी परेशान है। अब मात्र 169 वर्ग फिट जमीन के सहारे दूसरे भू खंड से होकर 20 फिट चौड़ा रास्ता जबरिया चाह रहे है। इस रास्ते के कारण जिस भू खंड से रास्ता निकलेगा, उस भू स्वामी का कम से कम 50 से 80 लाख का नुकसान हो सकता है। जिससे इस भू स्वामी ने मुख्यमंत्री से लिखित शिकायत करके पुलिस की मौजूदगी मे पैमाइश कराने की गुहार लगाई है। साथ ही इस पीड़ित ने जबरिया रास्ता निकालने की कोशिश करने वालों के आपराधिक मुकदमो का भी जिक्र किया है। वावजूद इस प्रकरण मे बलिया पुलिस राजस्व के विवाद को न जाने क्यों खुद कोर्ट बनकर हल करना चाह रही है और दूसरे की जमीन मे रास्ता निकालने का प्रयास करने वालों का सहयोग करती हुई दिख रही है।

अभी यह तीन ही रूप आप लोगों के सामने दिखा रहा हूं। इसके आलावा भी बलिया पुलिस के रूप है। अब देखना है उपरोक्त तीनो घटनाओं के पीड़ितों को न्याय मिलता है कि नहीं?