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इस्लामिक आतंकवाद का इजराइल स्टाइल मे खात्मा करें भारत सरकार : सेकुलरिज्म के मुंह पर तमाचा है पहलगाम हमला



मधुसूदन सिंह 

बलिया।। भारत को अब इस्लामिक आतंकवाद को उसी तरह से कुचलना होगा, जिस तरह से इजराइल ने 1972 मे ओलम्पिक खेल के दौरान मारे गये अपने खिलाड़ियों की मौत का बदला लिया था। उस खौफनाक बदले को सोच कर फिलिस्तीन मे सिहरन दौड़ जाती है। भारत को भी ठीक वैसे ही बदला लेने की जरूरत है। साथ ही देश के उन तथाकथित सेक्युलर नेताओं को भी बेनक़ाब करने की जरूरत है जो बात बात मे मुसलमान खतरें मे है, कह कर अपनी छाती ऐसे पीटने लगते है जैसे उनके मां बाप भाई बहन मर गये हो।मंगलवार को पहलगाम मे हुआ आतंकी हमला सेकुलरिज्म के मुंह पर करारा तमाचा है। धर्म पूँछ कर गोली मारना और महिलाओं से कहना कि मोदी से जाकर बताना, इस लिये जिन्दा छोड़ रहे है, की जितनी भी निंदा की जाय कम होंगी। वही बरेली मे भी एक नापाक सोच रखने वाला चोटी कटवा के उप नाम से चर्चित का बयान कि हमारी सरकार आने दो हिन्दुओं के घरों मे घूस घूस कर पुरुषो को मरेंगे, यह दर्शाता है कि देश के अंदर भी ऐसे तत्व मौजूद है जिनको सबक सिखाये बिना आतंकवादियों पर नकेल नहीं कसी जा सकती है।धर्म पूँछ कर गोली मारने वाले इस्लामिक आतंकियों पर सेक्युलर नेताओं की चुप्पी, सेकुलरिज्म के खोखलेपन को दर्शाने के लिये काफ़ी है।




उरी का जबाब, पठानकोट स्ट्राइक से अब कुछ होने वाला नहीं है।अब आतंकियों के लांचपैड के रूप मे कुख्यात हो चुके पीओके को इजराइल की तरह गाजापट्टी के रूप मे बदलना समय की बड़ी मांग है। अब समय आ गया है अल्पसंख्यक के नाम पर मिलने वाली मदद को बंद कर उनको भी अन्य भारतीयों की तरह ही मिलने वाली मदद शुरू की जाय। देश मे बढ़ रहे मजहबी उन्माद को रोकने के लिये एक देश एक संविधान, एक देश एक विधान को सख़्ती से लागू किया जाय। जब तक देश से बहुसंख्यक अल्पसंख्यक का क़ानून खत्म नहीं किया जायेगा, आतंकियों को देश के गद्दारों द्वारा छुप छुप कर मदद देने का सिलसिला जारी रहेगा।

भारत के बहुसंख्यक हिन्दुओं पर सेकुलरिज्म के नाम पर जिस तरह से राजनीति की जाती है, अल्पसंख्यकों को समर्थन दिया जाता है, उस खोखली सोच को पहलगाम मे आतंकियों के हमले ने एक्सपोज कर दिया है। जिस तरह से आतंकियों ने धर्म पूँछ कर गोली मारी है, वह यह दर्शाता है कि देश मे सेकुलरिज्म के नाम पर आतंकियों को कितना कवर फायरिंग मिल रही है। यह हमला भी तब हुआ है जब देश मे नया वक्फ क़ानून लागू होने के बाद से अल्पसंख्यक मुसलमानों द्वारा पूरे देश मे विरोध किया जा रहा है। सेक्युलर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले पश्चिम बंगाल मे हिन्दुओं पर लगातार हमले हो रहे, घर जलाये जा रहे है, हिन्दू पलायन करने को मजबूर है, लोग सुप्रीम कोर्ट मे पश्चिम बंगाल मे राष्ट्रपति शासन के लिये याचिका दायर किये हुए है, वावजूद ममता दीदी हिन्दुओं को सुरक्षा देने मे असफल है।बंगाल मे भी त्रिपुरा मणिपुर असम की तरह बड़ी व कड़ी कार्यवाही जरुरी है। अगर ऐसा नहीं होगा तो बंगाल मे हिन्दुओं का जीना मुश्किल हो जायेगा।

                      इजराइल मॉडल जरुरी 

1972 में म्यूनिख ओलंपिक के दौरान जब फिलिस्तीनी आतंकवादियों ने इजरायली खिलाड़ियों पर हमला किया था, तब इजरायल ने उन आतंकवादियों और इस हमले के सूत्रधारों को इस प्रकार खत्म किया था कि लंबे समय तक फिलिस्तीनियों के दिलों में दहशत घर कर गई थी। इजराइल जिस तरह से अपने देश के दुश्मनो को पाताल से भी खोज कर मारता है, भारत को भी अब वही रणनीति अपनानी पड़ेगी। भारत की सहिष्णुता आतंकियों ने कमजोरी समझ ली है, इसको बदलना है और उनको बताना होगा कि हम अगर सर्वे भवन्तु सुखिना, की बात करते है तो वही हम को यह भी बताना चाहिए हम सर्जिकल स्ट्राइक करके बदला भी लेते है, हम वही है जो पाकिस्तान के नक्शे को दो भागो मे बांट दिया था। हम वही है जो लाहौर तक पाकिस्तान को खदेड़ दिया था। आतंकियों और उनके आकाओ को यह भी बताना जरुरी है कि हम वही है जो तुम्हारे 90 हजार से अधिक सशस्त्र सैनिको को हथियार डालकर भारतीय सेना के सामने घुटने टेकने को मजबूर किया था। यह समझाना बहुत जरुरी है कि छुप छुप कर भारत विरोधी आतंकी अभियानों को चलाने वालों हम अपने पर आ गये तो तुम्हारी सात पीढ़ियां भारत की तरफ देखने से भी थरथर कांपेंगी।